नए आपराधिक कानूनों को राजनीतिक रंग देना ठीक नहीं: अमित शाह

अमित शाह
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अमित शाह बोले: चार साल के विमर्श के बाद कानून लाया गया

नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को विपक्ष के इन आरोपों को कि तीनों नए आपराधिक कानून बिना चर्चा के पारित कर दिए गये, इसे पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि इन्हें राजनीतिक रंग देना ठीक नहीं है।

संसदीय शौध में केन्द्रीय गृहमंत्री शाह ने सोमवार को नए आपराधिक कानूनों पर प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने कहा कि करीब चार साल के विमर्श के बाद कानून लाया गया है और संसद की गृह मामलों की समिति में इस पर विस्तार से विचार किया गया। विपक्षी सांसदों सहित सदस्यों ने सुझाव दिए और कुछ राजनीतिक सुझावों को छोड़कर लगभग सभी सुझावों को इसमें शामिल किया गया है। लेकिन विपक्ष शायद संसद में, इस विषय पर चर्चा नहीं करना चाहता था।

नए कानूनों के तहत देश में पहली एफआईआर ग्वालियर में दर्ज हुई

केन्द्रीय गृह मंत्री ने बताया कि नए कानून लागू होने के बाद ग्वालियर में पहली प्राथमिकी चोरी के मामले में रात 12.10 मिनट पर दर्ज हुई है। साथ ही उन्होने बताया कि जहां तक मीडिया में चल रही खबर है तो वे बताना चाहते हैं कि एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ किसी नए प्रावधान के तहत मामला दर्ज नहीं हुआ है। पुलिस ने इसकी समीक्षा करने के लिए प्रावधान का इस्तेमाल किया और उस मामले को खारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि कल मध्य रात्रि के बाद हुए अपराधों पर प्राथमिकी और कानूनी प्रक्रिया नए कानूनों के तहत होगी।

एक जुलाई से लागू हुए तीन नए कानून

उल्लेखनीय है कि एक जुलाई को मध्य रात्रि के बाद से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू हो गया है।

अब पीड़ितों के अधिकार अधिक सुरक्षित होंगे: अमित शाह

शाह ने इस अवसर पर देशवासियों को बधाई दी कि आजादी के करीब 77 साल बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह से ‘स्वदेशी’ हो रही है। यह भारतीय मूल्यों पर काम करेगी। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों में दंड की बजाए न्याय, देरी के बजाए तेज न्याय और पुलिस के बजाए पीड़ित और शिकायतकर्ता के अधिकार सुरक्षित होंगे।

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