दलाई लामा आज मना रहे है अपना 85वां जन्मदिन

नई दिल्ली। दलाई लामा आज अपना 85वां जन्मदिन मना रहे है। दलाई लामा भारत के उत्तर में स्थित तिब्बत में है । वही तिब्बत जिस पर मई 1950 से चीन का कब्जा है। तिब्बत पूरा पहाड़ी इलाका है, जो समुद्र तट से तकरीबन 16-17 हजार फीट की ऊंचाई पर है। बगल में ही हिमालय है, जो सालभर ठंडा रहता है। आज दलाई लामा अपना 85वां जन्मदिन मना रहे है। हिमालय के बगल में होने से तिब्बत भी ठंडा इलाका ही है। लेकिन, यही ठंडा इलाका भारत और चीन के रिश्तों में गर्माहट लाने के लिए काफी है।

ये वो गर्माहट नहीं है, जिससे दोनों देशों की दोस्ती का अंदाजा हो। बल्कि, ये वो गर्माहट है, जिससे दोनों देशों की दुश्मनी पता चलती है।

तिब्बत में एक इलाका है टक्सटर। ये वही इलाका है जहां आज से 85 साल पहले 6 जुलाई 1935 को ल्हामो दोंडुब का जन्म हुआ था।
दरअसल, ल्हामो दोंडुब बौद्धों के 14वें दलाई लामा हैं। और दुनिया उन्हें ल्हामो दोंडुब से कम और दलाई लामा के नाम से ज्यादा जानती है। ल्हामो दोंडुब जब 6 साल के थे, तभी 13वें दलाई लामा थुबतेन ग्यात्सो ने उन्हें 14वां दलाई लामा घोषित कर दिया था।

इतनी कम उम्र में ही उन्हें दलाई लामा घोषित करने के पीछे भी एक खास वजह है। बताया जाता है कि 1937 में जब तिब्बत के धर्मगुरुओं ने दलाई लामा को देखा तो पाया कि वो 13वें दलाई लामा थुबतेन ग्यात्सो के अवतार थे। इसके बाद धर्मगुरुओं ने दलाई लामा को धार्मिक शिक्षा दी।

दलाई लामा और चीन के संबंध

दलाई लामा और चीन के संबंध कभी भी अच्छे नहीं रहे। दोनों का एक लंबा इतिहास भी है। 1357 से 1419 तक तिब्बत में एक धर्मगुरु हुए, जिनका नाम जे सिखांपा था। इन्होंने 1409 ईस्वी में तिब्बत में एक स्कूल शुरू किया।
नाम रखा जेलग स्कूल। इसी स्कूल में एक होनहार छात्र थे गेंदुन द्रुप। आगे चलकर गेंदुन ही पहले दलाई लामा बने।

बौद्ध धर्म में लामा का मतलब होता है गुरु। बौद्ध दलाई लामा को अपना गुरु मानते हैं और उनकी कही हर बात को मानते हैं। 1630 के दशक में बौद्धों और तिब्बतियों के बीच नेतृत्व को लेकर लड़ाइयां शुरू हो गई थीं। आखिरकार 5वें दलाई लामा तिब्बत को एक करने में कामयाब रहे।

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