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इस तरहा मेरी वफा का सिला दीजिए, जाते-जाते मुस्कुरा दीजिए
जयपुर। नेट थिएट के कार्यक्रमों की श्रंखला में आज राजस्थान के ख्यातनाम कव्वाल अख्तर अली अमजद अली ने अपने साथी कलाकारों के साथ क्या बताएं यह क्या हो गया प्यार का सामना हो गया, इस तरहा मेरी वफा का सिला दीजिए जाते-जाते मुस्कुरा दीजिए कव्वाली को बड़े ही सूफियाना अंदाज में पेश किया तो दर्शक वाह वाह कर उठे। नेट थिएट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि उसके बाद उन्होंने इस तरह रूठ के जाने वाले गए मेरी आंखों की नींद चुरा ले गए।
तेरी नज़रों ने ऐसा सवार मुझे हर किसी को तेरा कहे की पुकार मुझे, और *तेरे दरवाजे पे ये चिलमन देखी नहीं जाती जैसी कव्वालियों को सुना कर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। इनके साथ ही कलाकारों में उस्मान अली मोहम्मद कासिम और मोहम्मद आसिफ ने अपनी पुर कशिश आवाज से महफिल में संगीतमय इंद्रधनुष मैं सतरंगी रंग भर कार्यक्रम को परवान चढ़ाया।
अख्तर अली कव्वाल देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी कव्वाली से दर्शकों का दिल जीत कर राजस्थान का गौरव बढाया है। अपन सऊदी अरब, मॉरीशस और 9 महीने साउथ अफ्रीका में रहे । आपके ज्यादातर प्रोग्राम हैदराबाद में आयोजित होते हैं आप आल इंडिया रेडियो के कलाकार हैं। कार्यक्रम संयोजक गुलजार हुसैन और नवल डांगी, प्रकाश और कैमरा मनोज स्वामी, संगीत विनोद सागर गढ़वाल और मंच सज्जा अंकित शर्मा नोनू, जीवितेश शर्मा की रही।