
जयपुर। भारत में हर साल लगभग 1.78 लाख महिलाओं को स्तन कैंसर का निदान होता है, जो चिंता का विषय है। हालांकि, नए शोध और तकनीकी प्रगति ने इस बीमारी से लड़ने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. रोहित स्वामी के अनुसार, “इम्युनोथेरेपी में हाल के परीक्षणों ने उत्साहजनक परिणाम दिखाए हैं।
विशेष रूप से, इम्यून चेकपॉइंट अवरोधकों को लक्षित थेरेपी के साथ संयोजित करने से कुछ स्तन कैंसर उपप्रकारों में बेहतर प्रतिक्रिया देखी गई है।” लिक्विड बायोप्सी तकनीक में प्रगति ने शुरुआती पहचान और निगरानी को बेहतर बनाया है। नए रक्त परीक्षण परिसंचारी ट्यूमर डीएनए का पता लगा सकते हैं, जिससे बीमारी का जल्दी पता चल सकता है। एआई का उपयोग मैमोग्राफी व्याख्या में सटीकता बढ़ा रहा है।
मशीन लर्निंग एल्गोरिदम स्तन कैंसर स्क्रीनिंग की सटीकता में सुधार कर रहे हैं, जिससे गलत नैदानिक परिणामों में कमी आई है। BRCA-उत्परिवर्तित स्तन कैंसर के प्रारंभिक चरण में PARP अवरोधकों का उपयोग अब मेटास्टेटिक सेटिंग्स से आगे बढ़ रहा है। इससे अधिक रोगियों को लाभ मिलने की उम्मीद है। स्तन पुनर्निर्माण में 3D-प्रिंटेड स्कैफोल्ड और ऊतक इंजीनियरिंग दृष्टिकोण जैसे नवाचार रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला रहे हैं। डॉ. रोहित स्वामी ने जोर देकर कहा, “जागरूकता और नियमित स्क्रीनिंग महत्वपूर्ण हैं। इन नई तकनीकों के साथ, हम स्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई में पहले से कहीं अधिक सशक्त हैं।”