
राजस्थान उच्च न्यायालय में लम्बित जनहित याचिका में पिछली सुनवाई पर ‘रीट’ में राजस्थानी भाषा सम्मिलित करने की संभावना तलाशने बाबत खंडपीठ ने दिए थे निर्देश
जयपुर। राजस्थानी मासिक ‘माणक’ एवं दैनिक जलते दीप के प्रधान संपादक पदम मेहता ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अति व्यस्तता के कारण मुलाकात का समय नही मिल पाने पर उन्हें विस्तृत जानकारी युक्त पत्र प्रेषित कर ‘रीट-2024’ एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं तथा भर्तियों में ‘राजस्थानी भाषा’ को अनिवार्य जोड़ने की मांग की है। मेहता ने पत्र में मुख्यमंत्री का ध्यान इस ओर दिलाया है कि शिक्षा मंत्री की घोषणा अनुसार 25 नवम्बर तक ‘रीट-2024’ की विज्ञप्ति प्रकाशित होनी है और माननीय उच्च न्यायालय ने उनके द्वारा प्रस्तुत जनहित याचिका की पिछली सुनवाई में राज्य सरकार को ‘रीट’ में राजस्थानी भाषा को जोड़ने की संभावना तलाशने का निर्देश दिया था।
मेहता ने अपने पत्र के साथ प्रदेश के प्रमाणिक
जनगणना आंकड़ों की जानकारी देते हुए बताया है कि राजस्थान में राजस्थानी भाषा (उपभाषाओं सहित) बहुलता से मातृभाषा के रूप में अंकित है। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’, ‘बालकों को अनिवार्य शिक्षा का अधिकार’ अधिनियम 2009, देश-विदेश के समस्त शिक्षाविदों तथा एन.सी.टी.ई आदि में मातृभाषा के माध्यम से बच्चों को प्राथमिक शिक्षा का प्रावधान एवं सर्वानुमति है। उन्होंने लिखा है कि भारत सरकार की उपरोक्त नीतियों अनुसार यह कतई जरूरी नहीं है कि वह भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित हो।
लगभग सभी राज्यों में अपनी मातृभाषा को महत्व दिया जा रहा है। अतः आठवीं सूची में जब तक ‘राजस्थानी भाषा’ को स्थान न मिले तब तक प्रदेश में ‘रीट-2024’ एवं विभिन्न भर्तियों हेतु एक ‘राइडर’ के रूप में आरपीएससी अथवा अन्य माध्यम से होने वाली परीक्षाओं, प्रतियोगी परीक्षाओं में राजस्थान की दो तिहाई से अधिक जनसंख्या की मातृभाषा ‘राजस्थानी’ को अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया जाए।
मेहता ने अपने पत्र में बताया है कि प्रदेश के जनसंख्या आंकड़ों (वर्ष 2011 की अनंतिम जनगणना अनुसार) हिंदी के अनुपात में दोगुना जनसंख्या’ राजस्थानी एवं उसकी उपभाषाओं’ को (राजस्थान विधानसभा द्वारा अगस्त 2003 में सर्वसम्मति से पारित संकल्प की परिभाषा अनुसार) मातृभाषा के रूप में प्रमाणिक रूप में दर्शाया गया है। जहां पूर्व में ‘रीट-2021’ में सम्मिलित भाषाओं को प्रदेश में मातृ भाषा लिखाने वालों की संख्या हिंदी (1,87,42,450), अंग्रेजी (नहीं के बराबर), संस्कृत (नहीं के बराबर), उर्दू (6,64,915), सिंधी (3,86,569), पंजाबी (11,54,622), गुजराती (67,490) है, जबकि राजस्थानी एवं इसकी उपभाषाओं की जनसंख्या प्रमाणिक जनगणना आंकड़ों में 4,63,50,236 है।
किंतु इसे ‘रीट-2021′ में सम्मिलित नहीं किया गया था जो सरासर प्रदेश की जनता एवं शिक्षित युवाओं के साथ अन्याय था। इसी को लेकर अप्रैल 2021 में दायर उनकी जनहित याचिका माननीय उच्च न्यायालय में लम्बित है। जिसकी अगली सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने 26 नवम्बर को निर्धारित की है।मेहता ने मुख्यमंत्री से इस मामले में गंभीरता से विचार कर’ रीट-2024′ में ‘राजस्थानी भाषा’ को तत्काल सम्मिलित करने के लिए संबंधित को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।मेहता ने इसी आशय का पत्र शिक्षा मंत्री को भी उनके कोलकाता प्रवास पर होने से ईमेल किया है। साथ ही शासन सचिव (स्कूल शिक्षा), कृष्ण कुणाल से रूबरू भेंट कर उन्हें पत्र की प्रतिलिपि सौंपते हुए आवश्यक कार्यवाही का अनुरोध किया है।