
जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में कैबिनेट की शनिवार को महत्वपूर्ण बैठक होगी। इस बैठक में नए जिलों का गठन, छोटे जिलों का बड़े जिलों में विलय, और एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लिया जा सकता है।
नए जिलों का गठन और विलय पर विचार: राजस्थान सरकार नए जिलों के गठन और प्रशासनिक इकाइयों में बदलाव पर 31 दिसंबर तक फैसला ले सकती है।
छोटे जिलों का विलय: कैबिनेट सब कमेटी और मंत्री लेवल कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर करीब छह से आठ छोटे जिलों को बड़े जिलों में मर्ज करने की संभावना है।
31 दिसंबर की समय सीमा: जनगणना रजिस्ट्रार जनरल के आदेश के तहत 31 दिसंबर तक नए प्रशासनिक इकाइयों के गठन और जिलों की सीमाओं में बदलाव की अनुमति है। इसके बाद प्रशासनिक सीमाएं “फ्रिज” हो जाएंगी और नए जिले या इकाइयां बनाने पर रोक लग जाएगी।
पृष्ठभूमि: सीएम ने सितंबर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर नए जिलों और प्रशासनिक इकाइयों पर रोक हटाने की मांग की थी। इस रोक को 31 दिसंबर तक के लिए हटा दिया गया था।
एसआई भर्ती परीक्षा 2021 का रद्द होना संभव: कैबिनेट बैठक में एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द करने पर भी निर्णय हो सकता है।
कैबिनेट सब कमेटी की सिफारिश: मंत्रियों की कमेटी ने भर्ती रद्द करने की रिपोर्ट पहले ही सरकार को दे दी है।
हाईकोर्ट का आदेश: हाईकोर्ट ने सरकार को एसआई भर्ती पर दो सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
जनवरी में सुनवाई: जनवरी में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार को स्टेटस रिपोर्ट पेश करनी है। ऐसे में भर्ती रद्द करने पर फैसला जल्द होने की संभावना है।
पिछली कांग्रेस सरकार के छोटे जिले हो सकते हैं खत्म: पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए छोटे जिलों को खत्म करने और बड़े जिलों में विलय पर भी कैबिनेट विचार कर सकती है। यह कदम प्रशासनिक दक्षता और वित्तीय प्रबंधन को सुधारने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।
बैठक के संभावित फैसलों के प्रभाव: नए जिलों और प्रशासनिक इकाइयों के गठन से राजस्थान में विकास और प्रशासनिक व्यवस्था को नई दिशा मिल सकती है। वहीं, एसआई भर्ती रद्द होने से सरकार को नई चयन प्रक्रिया शुरू करनी होगी। शनिवार की कैबिनेट बैठक में लिए जाने वाले निर्णय राजस्थान के प्रशासनिक ढांचे और युवाओं के करियर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। सरकार के पास निर्णय लेने के लिए सीमित समय है, जिससे बैठक की अहमियत और बढ़ गई है।