
नियमों का पालन न करने वाले वेटेरिनरी कॉलेजों के विरूद्व होगी कठोर कार्यवाही-डॉ समित शर्मा
जयपुर . शासन सचिवालय के मुख्य सभागार में पशु चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता और भविष्य में सुधार की संभावनाओं पर समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। अक्टूबर में इस विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया था। उसी के फॉलोअप में आज की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में राज्य के पशु चिकित्सा सस्थानों के अधिष्ठाताओं ने अपने कॉलेजों की प्रस्तुति दी।
बैठक के मुख्य अतिथि शासन सचिव पशुपालन गोपालन और डेयरी डॉ समित शर्मा ने प्रस्तुितयों की सराहना करते हुए कहा कि आप सबने अपना काम शुरू कर दिया है विश्वास है हम जल्द ही अपने लक्ष्य को हासिल कर सकेंगे। डॉ शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि वेटरिनरी कॉलेज को उत्कृष्टता का केंद्र बनाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। डॉ शर्मा ने भौतिक और मानव संसाधन के बीच संतुलन पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए क्षेत्र में काम कर रहे पशु चिकित्सा अधिकारियांे और शिक्षा संस्थानांे के बीच तालमेल होना भी आवश्यक है। उन्हांेने कहा कि विभाग द्वारा ई नॉलेज बैंक बनाया जा रहा है जिससे कोई भी चिकित्सक अगर कोई सर्जरी कर रहा है और उसे किसी इनपुट की आवश्यकता है तो वह इनपुट उसे ऑनलाइन उपलब्ध हो सके। साथ ही साथ उन्होंने हैंड्सऑन ट्रेनिंग को भी उतना ही आवश्यक बताते हुए कहा कि बिना पानी में उतरे कोई व्यक्ति तैरना नहीं सीख सकता। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पशु चिकित्सा परिषद के मानदंडों पर काम करते हुए राज्य के पशु चिकित्सा संस्थानों को देश में सर्वाेच्च स्थान पर लाना है। इससे किसी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कॉलेजों में आधुनिक संरचना के विकास पर जोर देते हुए कहा कि हमें एप आधारित पठन पाठन सामग्री का उपयोग करना चाहिए जिसने हमारे भावी पशु चिकित्सकों में उच्च स्तर की व्यावसायिक दक्षता आ सके। उन्होंने कहा कि सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों का समय समय पर रिफ्रेशर कोर्स और एक्सपोजर विजिट होना चाहिए जिससे उनमें और अच्छा काम करने की ललक पैदा होगी। उन्होंने सभी कॉलेजों को सभी प्रकार के उपकरण और औजार की उपलब्धता और उनका उपयोग सुनिश्चित करने के भी निर्देष दिए और कहा कि कॉलेज के संचालन और विद्यार्थियांे के एडमिशन मंे पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए। उन्होंने मैनेजमेंट कोटे की सीटों को भरने में मनमानी फीस न लेने के सख्त निर्देष दिए और कहा कि ऐसा होने पर नियमानुसार सख्त कार्यकाही की जायेंगी।
उन्होंने स्पष्ट निर्देष दिये कि सभी कॉलेजांे को एमएसवीई निर्देषिका एवं वीसीआई रेगुलेषन, 2016 के अनुसार बॉयोमेिट्रक एटेन्डेंस, अध्यापकों की पारदर्षी सूची, आम जनता के लिए कॉलेज स्थित पशु अस्पतालों का उपयोग आदि का पालन करना होगा अन्यथा नियमानुसार कॉलेजों की एनओसी निरस्त करने की कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि अपनी कमियों को स्वीकार करने में हमें कोई गुरेज नहीं करना चाहिए बल्कि उन कमियों को दूर करने का प्रयास करते हुए हमें ऊंचाई की तरफ बढ़ना चाहिए। समस्याएं भी आएंगी पर उन सबका मिलकर सामना करते हुए हम निश्चित रूप से प्रदेश को पशु चिकित्सा के क्षेत्र में सर्वाेच्च स्थान दिलाने में कामयाब होंगे।
बैठक में शासन उपसचिव संतोष करोल निदेशक पशुपालन डॉ आनंद सेजरा, राजुवास के प्रो वाइस चांसलर डॉ हेमंत दाधीच, राज्य के विभिन्न पशु चिकित्सा महाविद्यालयों के अधिष्ठाता और पशुपालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।