राजस्थान फाउंडेशन कोरोना काल में बना मददगार, प्रवासी मरीजों को उपलब्ध करवाई एयर एम्बुलेंस, बुजुर्गों को पहुंचवाई दवाईयां

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राजस्थान फाउंडेशन ने अपनों के अंतिम संस्कार में शामिल होने में की मदद

राजस्थान फाउंडेशन ने बुजुर्गों को घर बैठे उपलब्ध करवाईं दवाईयां

देश-विदेश में फंसे प्रवासी मरीजों को एयर एम्बूलेंस से करवाया एयरलिफ्ट

राजस्थान फाउंडेशन सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पूरे विश्व में फैले राजस्थानियों के बीच मदद का सेतु साबित हो रहा है। राजस्थानियों के हर सुख दुख का साथी बन चुका राजस्थान फाउंडेशन जरुरत पडऩे पर पूरे विश्व में मौजूद राजस्थानियों के लिए हमेशा मदद के लिए तत्पर रहता है। राजस्थान फाउंडेशन ने कोविड-19 महामारी में भी देश ओर विदेश की सरकारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है ओर इस दौरान चैरिटी के काम में कोई कमी नहीं छोड़ी। फाउंडेशन ने कोविड-19 के दौरान फंसे राजस्थानियों को एयरलिफ्ट करने और उन्हें अपने देश पहुंचाने में पूरी मदद की है। ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं।

  • ऐसा ही एक उदाहरण हैं कमल विजयवर्गीय, कमल विजयवर्गीय जयपुर के हैं और थोड़े समय के लिए बिजनेस के सिलसिले में टोक्यो गए। दुनिया भर में जारी लॉकडाउन (तालाबंदी) के कारण कमल भारत वापस नहीं आ सके और इटाबाशी, टोक्यो में कुछ क्लाइंड के साथ रह रहे थे। विजयवर्गीय एक कैंसर रोगी हैं और उन्हें नियमित उपचार की आवश्यकता है जो जयपुर में चल रहा है। दो महीने तक वह जापान में फंसे रहे। इसलिए, उसे आगे के उपचार के लिए जल्द से जल्द जयपुर आने की जरूरत पड़ी। राजस्थान फाउंडेशन से उन्होंने मदद मांगी तो फाउंडेशन ने तुरंत प्रभाव से उनकी सकुशल स्वेदश वापसी के लिए प्रयास किए ओर आखिर राजस्थान सरकार और एमईए के सहयोग से कमल विजयवर्गीय की जल्द जल्द से स्वदेश वापसी हो गई।
  • ऐसा ही एक वाक्या अमेया विक्रम भारद्वाज के साथ पेश आया। दरअसल अमेया विक्रम भारद्वाज जो कि मनीला, फिलिपींस के प्रथम वर्ष की मेडिकल छात्रा हैं, बीमार थीं और 5 मई, 2020 से ही आईसीयू में भर्ती थीं। बेटी के सकुशल घर वापसी की चिंता में अमेया का पूरा परिवार बहुत डरा हुआ था। डॉ. मीनाक्षी शर्मा (अमेया की मां) के अनुरोध पर धीरज श्रीवास्तव ने उनकी बेटी को एयर एम्बुलेंस द्वारा स्वदेश से लाने में पूरी मदद की। राज्य सरकार और एमईए के सहयोग से राजस्थान फाउंडेशन ने उन्हें मनीला, फिलीपींस से उनकी निकासी के बारे में सभी मंजूरी के लिए मदद की।

राजस्थान फाउंडेशन से मदद मांगी तो फाउंडेशन ने तुरंत प्रभाव से उनकी सकुशल स्वेदश वापसी के लिए प्रयास किए

  • जयपुर की रहने वाली पारुल गर्ग अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने पिता के ऑपरेशन के लिए मुंबई गई थीं। उसके पिता किडनी की खराबी और हाइपरथायरायडिज्म से पीडि़त थे, जिसके लिए उन्हें सर्जरी करानी पड़ी। लॉकडाउन के कारण वे मुंबई में फंस गए। पारुल ने सकुशल घर वापसी के लिए धीरज श्रीवास्तव, कमिश्नर राजस्थान फाउंडेशन से सम्पर्क किया। श्रीवास्तव ने उन्हें जयपुर वापस लाने के लिए हर संभव मदद के तहत उनके पिता को जयपुर वापस लाने के लिए सभी आवश्यक अनुमति के साथ एक एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई थी।
  • प्रभु बागडिय़ा अपने परिवार के 20 अन्य सदस्यों जिसमें 5 वर्ष से भी कम आयु के बच्चे भी थे, वह दिल्ली में फंसे हुए थे। लॉकडाउन के कारण वह खुद को बहुत ही असहाय महसूस कर रहे थे, बागडिय़ा द्वारका मेट्रो पुलिया के नीचे रहने को मजबूर हो गए थे। ये सभी राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के गांव विजयनगर के निवासी हैं। वे रोज खिलौने बेचकर अपना और अपने बच्चों का जीवन यापन कर रहे थे ऐसी स्थिति में उनके लिए गुजारा करना बड़ा मुश्किल हो गया था। सरकार द्वारा दिए गए राशन में से उन्हें 5 दिनों से पका हुआ भोजन भी नहीं मिल रहा था। राजस्थान फाउंडेशन ने उनके लिए भोजन की व्यवस्था की और उन्हें 22 मई को बसों के माध्यम से अपने-अपने गंतव्यों को भेजने में मदद की।
  • भूमिका जोशी, जो कि एक अप्रवासी राजस्थानी हैं, मार्च के पहले सप्ताह में माउंट आबू (उनके गृहनगर) आईं और लॉकडाउन के कारण वापस नहीं लौट सकीं। उनके पति और 2 बच्चे नीदरलैंड में थे। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में उसे यूरोपीय निवासियों के लिए केएलएम एयरलाइंस द्वारा कुछ रेपरेशन फ्लाइट के बारे में पता चला। लेकिन माउंट आबू से दिल्ली पहुंचना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि इसके लिए राज्य की सीमा हस्तांतरण की आवश्यकता थी। उन्होंने मदद के लिए तुरंत कमिश्नर राजस्थान फाउंडेशन धीरज श्रीवास्तव से संपर्क किया। उनके हालात जानने के बाद, कमिश्नर राजस्थान फाउंडेशन ने उसके लिए एक यात्रा पास की व्यवस्था की। वह नीदरलैंड में अपने घर पहुंच गई हैं। वह 2 महीने के बाद अपने पति और बच्चों के साथ फिर से जुडक़र खुश है। उन्होंने राजस्थान सरकार को विशेष धन्यवाद दिया।
  • राय सिंह नगर, श्रीगंगानगर, के निवासी प्रशांत चौधरी भी महेंद्र नगर, मोरबी, गुजरात में लॉकडाउन की स्थिति के कारण फंसे गए थे। उनकी बड़ी बहन की अचानक मृत्यु हो गई, उनके घर पर बुजुर्ग माता-पिता हैं, ऐसी स्थिति में प्रशांत चौधरी अपनी बहन के अंतिम संस्कार के लिए रायसिंहनगर आना चाहते थे। जैसे ही मामला राजस्थान फाउंडेशन के संज्ञान में आया, प्रशांत के लिए एक अंतर-राज्यीय पास की व्यवस्था की गई, जिसके बाद वह अपनी बहन के अंतिम संस्कार में शामिल हो पाए।

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  • अजमेर निवासी विपिन कुमार अपने परिवार के साथ पंजाब में फंसे हुए थे। विपिन कुमार अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए अजमेर आना चाहते थे। अस्वस्थता के कारण उनकी माता का देहांत 31.03.2020 को हो गया। विपिन कुमार ने मदद के लिए राजस्थान फाउंडेशन से संपर्क किया। जैसे ही यह सूचना प्राप्त हुई, रेजिडेंट कमिश्नर, पंजाब और स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय करके, विपिन कुमार को परिवार के साथ अंतर-राज्यीय पास जारी किया गया, ताकि विपिन अपनी मां का अंतिम संस्कार कर सके। ऐसे हालात में मदद पाकर विपिन कुमार ने राज्य सरकार के प्रति कृतज्ञता जाहिर की।
  • 84 वर्षीय सुंदरलाल सिरोही में फंसे हुए थे। वह अपनी पेंशन के लिए उदयपुर से सिरोही आए थे और वहां लॉकडाउन के कारण फंस गए। सुंदरलाल ने मदद के लिए राजस्थान फाउंडेशन से संपर्क किया। जैसे ही यह सूचना मिली, स्थानीय प्रशासन की मदद से सुंदरलाल को सिरोही से उदयपुर तक पहुंचाने में मदद की गई।

राजस्थान फाउंडेशन ने यह सुनिश्चित किया कि बुज़ुर्गों की दवाएं पेंशन डायरी बिना औपचारिकता के 24 घंटे के भीतर मुहैया (उपलब्ध) करवाई जाएं

  • हिमांशु कछवाहा (राजस्थानी प्रवासी) वर्तमान में हाउगे, नीदरलैंड में रहते हैं। उनके बुजुर्ग माता-पिता राजस्थान में रह रहे हैं। उनके माता-पिता लॉकडाउन में अपनी दवाएं खरीदने के लिए नहीं जा सकते थे, इसलिए जिला प्रशासन की मदद से, राजस्थान फाउंडेशन ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी दवाएं पेंशन डायरी की कोई औपचारिकता के बिना उन्हें 24 घंटे के भीतर मुहैया (उपलब्ध) करवाई गईं।

राजस्थान फाउंडेशन के तत्वावधान में 10 लाख रुपये का दान
राजस्थान फाउंडेशन के तत्वावधान में जोधपुर निवासी जसवंत मुणोत ने प्रवासी राजस्थानी द्वारा तमिलनाडु एजुकेशनल एंड मेडिकल ट्रस्ट के माध्यम से मुख्यमंत्री राहत कोष (कोविद -19) में 10 लाख रुपये का दान दिया।

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Dheeraj Srivastava, Commissioner Rajasthan Foundation

हर विपदा में बना मददगार
गौरतलब है कि राजस्थान फाउंडेशन राजस्थान सराकर द्वारा स्थापित संगठन है। इसका मकसद देश और विदेश में रह रहे राजस्थानी प्रवासियों की मदद करना है। यह संगठन किसी भी विपदा की घड़ी में हमेशा एक सेतु का काम करता है। कोविड-19 महामारी में फंसे राजस्थानी प्रवासियों के लिए संगठन ने काफी सराहनीय काम किया है।

बूढ़े और असहाय लोगों की दवाई से लेकर हॉस्पिटल पहुंचाने, अपनों के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए लोगों को परिवहन पास से लेकर, विदेश में फंसे लोगों के बुजुर्ग मां-बाप को दवाई उपलब्ध करवाने जैसे पुण्य कार्यों के अलावा देश-विदेश में फंसे प्रवासी मरीजों को एयर एम्बूलेंस तक उपलब्ध करवाने में मदद करने जैसे अंसभव कार्यों को राजस्थान फाउंडेशन ने सरकारी मदद से संभव कर दिखाया है।