
नई दिल्ली। विस्फोटक घटनाओं को अंजाम देकर फरार हो रहे आतंकियों के छिपने का कौशाम्बी पहले से मुफीद ठिकाना बना हुआ है। चाहे वह कानपुर में बम विस्फोट हो या फिर कौशाम्बी के एक मदरसे के जरिये आतंकी गतिविधि से जुड़े होने का मामला। ऐसी गतिविधियों को लेकर जिले की पुलिस संजीदा नहीं दिख रही है। आतंकी घटनाओं के अतीत पर गौर करें तो कानपुर में वर्ष 1998 में विस्फोट की घटना अंजाम दी गई थी। उसमें कड़ाधाम व पूरामुफ्ती इलाके के दो युवकों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। कानपुर पुलिस उन्हें पकडक़र साथ ले गई थी। पूछताछ में पता चला कि वह आतंकी संगठन सिमी के सदस्य थे। उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई। बाद में जमानत पर छूटे दोनों युवक अपने कामधंधे लगे हुए हैं। इन पर खुफिया तंत्र की आज भी नजर है। इसी तरह मेरठ का रहने वाला एक युवक 10 साल पहले करारी कस्बे में रह रहा था। उसकी गतिविधि को लेकर पता चला कि वह जिले के एक चर्चित मदरसे की मदद से आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ था। ऐसे में खुफिया तंत्र ने उसकी धरपकड़ कर पूछताछ भी की। हालांकि गोपनीय जांच में पुलिस के हाथ खाली रहे। इसके बाद युवक हमेशा के लिए करारी छोडक़र कहीं चला गया।
कौशाम्बी का पंजाब व हरियाणा से जुड़ा है गहरा नाता
जिले के लोग कामधंधे के सिलसिले से पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में आते-जाते रहते हैं। ऐसे में वहां के स्थानीय लोगों से जिलेवासियों का खासा संपर्क हो जाता है। किसी न किसी कार्यक्रम या फिर मिलने के उद्देश्य से गैर प्रांत के लोगों का जनपद में आवागमन रहता है। ऐसे लोगों पर भी खुफिया तंत्र की नजर नहीं रहती। नतीजतन लजर मसीह जैसे आतंकियों की गतिविधि जिले में होना आम बात मानी जा रही है। जनपद में बेरोजगारी का दंश झेल रहे कामगार नौकरी व मजदूरी के सिलसिले से गैर जनपद या प्रांत में रहते हैं।
महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा जैसे राज्यों में रहकर वह रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं। लंबे समय तक रहने के कारण जिले के कामगारों का गैर जनपद के स्थानीय लोगों से गहरा नाता हो जाता है। ऐसे में अक्सर जनपद में विभिन्न राज्यों के रहने वाले लोगों का आवागमन बना रहता है। चाहे वह किसी के यहां कोई कार्यक्रम रहा हो या फिर मिलने का बहाना। आतंकी लजर मसीह के पकड़े जाने के बाद यह बात भी सामने आई कि वह महाकुंभ में विस्फोट की तैयारी को लेकर साजिश रच रहा था। उसकी सक्रियता कानपुर और लखनऊ में भी रही है। हालांकि, कौशाम्बी में लजर मसीह कहां छिपा था, यह जानकारी अब तक सामने नहीं आई। पुलिस का दावा है कि उसे मुखबिर की सूचना पर कोखराज के सकाढ़ा चौराहा से गिरफ्तार किया गया है। गैर प्रांतों व जनपद से आने वाले लोगों पर खुफिया तंत्र नजर रखे तो और भी चौंकाने वाले मामले सामने आ सकते हैं।
प्रयागराज में पहले भी बन चुका है आतंकियों का ठिकाना
आतंकियों ने पहले भी प्रयागराज और आसपास के जिलों में अपना ठिकाना बनाया है। आतंकी की गिरफ्तारी के बाद प्रयागराज कमिश्नरेट पुलिस ने सभी सीमा क्षेत्र के थाने पूरामुफ्ती, एयरपोर्ट, मऊआइमा, हनुमानगंज, नैनी, नवाबगंज समेत अन्य थानों की पुलिस को अलर्ट कर दिया गया है। मार्च 2006 में वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन और संकटमोचन मंदिर में सीरियल बम धमाकों के बाद स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने फूलपुर के वलीउल्लाह को गिरफ्तार कर उसे मास्टर माइंड बताया था। जांच में पता चला था कि फूलपुर में वलीउल्लाह के ही ठिकाने पर आतंकियों ने कुकर बम तैयार करने के बाद वाराणसी में धमाका किया। तब वलीउल्लाह समेत कई आतंकियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। वहीं, 15 साल बाद संगमनगरी का आतंकी गतिविधियों की वजह से एक बार फिर नाम उभरा। सितंबर 2021 में करेली से एंटी टेररिस्ट स्कवायड (एटीएस) ने आतंकी जीशान और फिर मोहम्मद ताहिर उर्फ मदनी को गिरफ्तार किया। इसके बाद इनको दिल्ली ले जाया गया। पहले जीशान और फिर ताहिर मदनी की गिरफ्तारी के बाद आतंकी नेटवर्क के लिहाज से प्रयागराज संवेदनशील हो गया है। जीशान तो पाकिस्तानी सेना से आतंकी हमलों की 15 दिन की ट्रेनिंग लेकर यहां आया था। कुंभ और माघ मेला के लिए दुनिया भर में विख्यात प्रयागराज में इन दो आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद यह शहर एटीएस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के रडार पर हमेशा से रहा है। बता दें कि महाकुंभ मेले में किसी भी हमले से बचने के लिए प्रयागराज पुलिस ने 11 अलग-अलग अभियान चलाएं गए।
लंबे समय से आपराधिक गतिविधियों में शामिल है मसीह, बटाला में कई केस दर्ज
अमृतसर। पंजाब पुलिस और उतर प्रदेश पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में पकड़ा गया बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आतंकी लजर मसीह लंबे समय से आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करता है। अमृतसर के कस्बा रमदास के गांव कुराली के रहने वाले मसीह पर बटाला (गुरदासपुर) में कई केस दर्ज हैं। इनमें हत्या का प्रयास, रंगदारी की मांग और नशा तस्करी जैसे मामले शामिल हैं। कुछ महीने पहले ही लजर मसीह पाकिस्तान में बैठे आतंकी हरविंदर सिंह रिंदा और अमेरिका में बैठे आतंकी स्वर्ण सिंह उर्फ जीवन फौजी और हैप्पी पासियां के संपर्क में आया था। इसके बाद वह इनके लिए काम करने लग पड़ा। पंजाब के अलग-अलग थानों पर हुए ग्रेनेड हमलों में भी मसीह की अहम भूमिका रही।
सितंबर 2024 में हुआ था हिरासत से फरार
कौशाम्बी से गिरफ्तार किया गया लजर मसीह वहां अपनी पहचान छिपा कर रह रहा था। पुलिस लगातार उसकी तलाश में लगी हुई थी। साल 2023 में लजर ने बटाला में एक मेडिकल स्टोर मालिक पर फायरिंग कर दी थी, जिसमें वह जख्मी हो गया था।
अमेरिका, दुबई, कतर, पुर्तगाल के साथी सिग्नल एप से लजर से करते थे बातचीत
कौशांबी से गिरफ्तार आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकी लजर मसीह के साथी अमेरिका, दुबई, कतर और पुर्तगाल में ठिकाने बनाए हुए हैं। वह उनसे सिग्नल एप के जरिए बातचीत करता था। उसके मोबाइल में तमाम आपत्तिजनक और संवेदनशील डाटा मिला है, जिसे एसटीफ की साइबर लैब खंगाल रही है। उसकी गिरफ्तारी से पाकिस्तान से पंजाब में ड्रोन के जरिये हो रही हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी के बड़े नेटवर्क का खुलासा भी हुआ है। डीजीपी ने बताया कि इस नेटवर्क के माध्यम से आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। लजर पर पंजाब में 7 मुकदमे दर्ज होने की जानकारी मिली है। वहीं अन्य मुकदमों एवं आपराधिक गतिविधियों के बारे में गहनता से छानबीन की जा रही है। उससे पूछताछ में बब्बर खालसा इंटरनेशनल के एक बड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जानकारी मिली है। उसके खिलाफ कौशांबी के कोखराज थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ कर इस बारे में अधिक जानकारी जुटाई जाएगी। उसके खिलाफ पंजाब पुलिस द्वारा भी विधिक कार्रवाई की जा रही है।
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