क्या आप जानते हैं कैसे पहचानते हैं मिर्च का तीखापन?

मिर्च
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क्या आपने कभी सोचा है कि उस जलते हुए स्वाद को, जो मिर्च आपके मुंह में छोड़ती है, उसे कैसे मापा जाता है? मिर्च के तीखापन का अंदाजा लगाना सिर्फ स्वाद से नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक पैमाने से होता है, जिसे हम स्कोविल स्केल के नाम से जानते हैं। यह पैमाना मिर्च के तीखेपन को एक यूनिट में मापता है और बताता है कि किसी मिर्च में कैप्सैसिन नामक तत्व की कितनी मात्रा है, जो आपके मुंह को जलाने का काम करता है। बता दें, स्कोविल स्केल एक वैज्ञानिक पैमाना है, जो स्पाइसी खाने का तीखापन को मापने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे अमेरिकी फार्मासिस्ट विल्बर स्कोविल ने 1912 में विकसित किया था। इस पैमाने में मिर्चों के अंदर मौजूद कैप्सैसिन नामक तत्व की मात्रा के आधार पर तीखापन मापा जाता है। आइए, विस्तार से जानें इसके बारे में। क्या आप जानते हैं कैसे पहचानते हैं मिर्च का तीखापन?

कैसे मापा जाता है मिर्च का तीखापन?

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मिर्च का तीखापन मापने के लिए स्कोविल ऑरगनोलेपेटिक टेस्ट किया जाता है। इसमें मिर्च के एक्सट्रैक्ट को पानी में मिलाया जाता है और फिर पैनल में बैठी एक टीम टेस्ट करती है कि कितनी पानी की मात्रा मिलाने पर उस मिर्च का तीखापन महसूस नहीं होता। जितनी ज्यादा पानी की जरूरत होती है, उतनी मिर्च ज्यादा तीखी होती है।

कुछ फेमस मिर्चों की स्कोविल रेटिंग

शिमला मिर्च
यह सबसे हल्की मिर्च है, जिसका कोई तीखापन नहीं होता।
अलापिनो
यह मिर्च भारतीय खाने में भी काफी लोकप्रिय है, और इसका तीखापन मध्यम स्तर का होता है।
हबनेरो
यह मिर्च तीखेपन में काफी तेज होती है और इसे खाना काफी चैलेंजिंग हो सकता है।
करोलाइना रीपर
यह दुनिया की सबसे तीखी मिर्च मानी जाती है, जो कि बहुत ही ज्यादा स्पाइसी होती है।
पेपर एक्स
इसे अभी तक मापने वाला सबसे तीखी मिर्च माना जाता है और इसका नाम गिनीज वल्र्ड रिकॉड्र्स में भी दर्ज है।
स्पाइस टॉलरेंस को समझाने में मददगार
सिर्फ मिर्चों के तीखापन का माप ही नहीं, बल्कि यह यह भी बताता है कि किसी भी मिर्च को कितना सुरक्षित रूप से खाया जा सकता है। अगर आपको तीखी मिर्चें पसंद हैं।

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