
जयपुर। प. पू. भारत गौरव सहस्रकूट विज्ञातीर्थ प्रणेत्री श्रमणी गणिनी आर्यिका गुरु मां विज्ञा माताजी ससंघ सान्निध्य में बूंदी का गोठड़ा में चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान के तीसरे दिन गुरु मां के मुखारविंद से अभिषेक शांतिधारा करने का सौभाग्य महेंद्र कुमार जी लाम्बाबास सपरिवार ने प्राप्त किया। महायज्ञ नायक अशोक जी मंजू धानोत्या एवं पाल मैना सुंदरी महावीर जी मंजू धानोत्या जी ने झूम झूम कर भक्ति का आनंद लिया।पूज्य माताजी ने सभी को मंगल आशीर्वाद देते हुए कहा कि – सिद्धों की यह भक्ति असीम पुण्य का कारण है । देव – शास्त्र – गुरु के लिए एवं उनके आयतनों के लिए दिया गया दान हमेशा ही दुगुना होकर प्राप्त होता है ।
जबलपुर में पीसनहारी की मडियां इसका साक्षात उदाहरण है। एक महिला ने आटा पीस पीसकर भगवान का मंदिर बना दिया। लेकिन आज हमारे पास जितना धन है उसे हम व्यसन और फैंशन में लगा देंगे शादी – ब्याह , अस्पताल में खर्च कर देंगे लेकिन जब मंदिर में दान के लिए कहा जाए तो सोचेंगे ।माताजी ने सभी को धर्म के प्रति जाग्रत करते हुए कहा कि – पुण्य का अवसर मिला है पुण्य में दान देकर पुण्य जोड़ लो यही साथ जाएगा बाकी सब यही धरा रह जायेगा ।तत्पश्चात मंडल जी पर 32 अर्घ्य चढ़ाएं गए।सांयकाल घर से महाआरती लाने का पुण्य बन्ध महावीर प्रसाद जी खटोड़ परिवार ने प्राप्त किया । सभी भक्ति के साथ महाआरती और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लिया ।