अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने कहा-ईरान, चीन और रूस राष्ट्रपति चुनाव को बाधित करने की कोशिश में

2016 के अमेरिकी चुनाव में रूस पर दखलंदाजी के आरोप लगे थे

वॉशिंगटन। अमेरिकी खुफिया एजेंसी नेशनल काउंटर इंटेलीजेंस एंड सिक्योरिटी सेंटर के निदेशक विलियम इवानिया ने चेतावनी दी है कि रूस, चीन और ईरान नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया को प्रभावित करने की फिराक में हैं।

वे उम्मीदवारों और उनके राजनीतिक अभियानों की उन गोपनीय सूचनाओं को लीक कर सकते हैं जो उनको फायदा पहुंचाए। एजेंसी के अफसर चुनाव प्रबंधन से जुड़े केंद्र और राज्यों के सभी नेटवर्क में पहुंच हासिल करने की कोशिश में लगे हैकरों की निगरानी कर रहे हैं।

कोरोना के कारण इन देशों को मसाला मिला, जिससे वे अमेरिका में दुष्प्रचार कर सकें

इवानिया के मुताबिक रूस, चीन और ईरान जैसे देशों की एजेंसियां अमेरिकी मतदाताओं की पसंद और नजरिये को प्रभावित करने के लिए परंपरगत समाचार माध्यमों के साथ ही सोशल मीडिया साइट्स का इस्तेमाल कर रही हैं। कोरोना महामारी और हाल ही में अश्वेतों के विद्रोह ने इन देशों को उनके मकसद के लिए बहुत मसाला दे दिया जिससे कि वे अमेरिका में दुष्प्रचार कर सकें।

अमेरिकी नीतियों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटा चीन

इंटेलीजेंस अधिकारी ने कहा कि चीन की कोशिश है कि अमेरिकी नीतियों को अपने पक्ष में प्रभावित कर सके। वह ऐसे नेताओं जिन्हें अपने हितों के खिलाफ मानता है, उन पर दबाव डालने के प्रयास भी बढ़ा रहा है। वहीं रूस का मकसद अमेरिका और दुनिया में उसके दबदबे को कमजोर करना है। रूस इंटरनेट ट्रोल और पीछे के दरवाजों से अमेरिका में झूठ को फैलाने में जुटा है जिससे कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास कमजोर पड़े।

ईरान भी इंटरनेट पर अमेरिका विरोधी कंटेंट फैला रहा है

ईरान भी सोशल मीडिया में दुष्प्रचार कर रहा है और अमेरिका विरोधी कंटेंट फैला रहा है। इवानिया ने अमेरिका के नागरिकों को सूचनाओं को आलोचनात्मक नजरिये से देखने, कहीं से मिले किसी कंटेट को सोशल मीडिया पर दोबारा पोस्ट करने से पहले उसके स्रोत की जांच करने और साइबर स्वच्छता बनाने की अपील की है।

साथ ही इंटेलीजेंस अफसरों ने राष्ट्रपति उम्मीदवारों के चुनाव अभियान संचालित करने वाले अधिकारियों, नेताओं, राजनीतिक समितियों और संसद को चुनाव सुरक्षा के बारे में विस्तार से जानकारी दे दी है।