
वर्ष 2057 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन का रखा लक्ष्य
– यह नीति बैंक की सभी ईएसजी पहलों के लिए मार्गदर्शी दस्तावेज के रूप में काम करेगी
– 2034 तक स्कोप 1 और 2 उत्सर्जन में 75% की कमी लाने का लक्ष्य
मुंबई: भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के अग्रणी बैंकों में से एक, बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने पृथ्वी दिवस 2025 के अवसर पर अपनी नई पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस (ईएसजी) नीति की शुरुआत करते हुए वर्ष 2057 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन का स्तर प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा व्यक्त की। कार्यनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यह पहल ज़िम्मेदार और स्थायित्वपूर्ण बैंकिंग को बढ़ावा देने, ईएसजी जोखिमों को कम करने तथा कम कार्बन उत्सर्जन वाले भविष्य से जुड़े अवसरों की तलाश करने, संवहनीयता के वैश्विक फ्रेमवर्क के अनुपालन और बैंक में ईएसजी-केंद्रित संस्कृति विकसित करने के लिए बैंक की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता में वृद्धि करेगी।
पृथ्वी दिवस 2025 की ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के महत्व को रेखांकित करने वाली “हमारी पृथ्वी, हमारी शक्ति” के अनुरूप बैंक ऑफ़ बड़ौदा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के फायनांस को प्राथमिकता देगा। बैंक ने पर्यावरण संवर्द्धन की दिशा में योगदान देने के प्रयासों के तहत, अपने ‘प्लांट अ ट्री’ कार्यक्रम के अंतर्गत बैंक द्वारा संवितरित प्रत्येक ऑटो ऋण और गृह ऋण के लिए अपने ग्राहकों की ओर से कैलेंडर वर्ष 2025 में अब तक 30,000 से अधिक वृक्ष लगाए हैं।
ईएसजी नीति बैंक द्वारा की जाने वाली सभी ईएसजी पहलों और गतिविधियों के लिए एक मार्गदर्शी दस्तावेज़ के रूप में काम करेगी। नीति बैंक में पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस के 3 स्तंभों में से प्रत्येक के तहत महत्वपूर्ण क्षेत्रों, ईएसजी मेट्रिक्स और लक्ष्यों को निर्धारित करते हुए ईएसजी गवर्नेंस का मार्ग प्रशस्त करेगी।
बैंक ऑफ़ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी, देबदत्त चांद ने इस अवसर पर बात करते हुए कहा: “पृथ्वी दिवस 2025 बैंक ऑफ बड़ौदा की स्थायित्वपूर्ण वृद्धि अर्जित करने की यात्रा में एक निर्णायक क्षण है। हमारी ईएसजी नीति की शुरुआत और हमारी नेट ज़ीरो प्रतिबद्धता इस बात का प्रतीक है कि बैंक पर्यावरण संरक्षण में सार्थक योगदान देने, सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने और गवर्नेंस के उच्चतम मानकों को बनाए रखते हुए एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट बनने को लेकर कितना गंभीर है। ईएसजी प्रथाओं को हमारी कार्यनीति और परिचालन में शामिल करना हमारा परम लक्ष्य है।”
नीति के तहत बैंक द्वारा निर्धारित कुछ प्रमुख दीर्घकालिक, मध्यावधि और अल्पकालिक लक्ष्य निम्नानुसार हैं:
- 2057 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन का स्तर हासिल करना
- 2034 तक स्कोप 1 और स्कोप 2 उत्सर्जन में 75% की कमी लाना (आधार वर्ष 2024)
- 2029 तक ऊर्जा क्षेत्र फायनांस का 50% नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को को प्रदान करना
- 2027 तक 50 करोड़ रुपये और उससे अधिक के सभी बड़े क्रेडिट एक्सपोजर के लिए जलवायु जोखिम मूल्यांकन सुनिश्चित करना
- 2027 तक सभी स्टाफ सदस्यों को शामिल करने का लक्ष्य रखते हुए ईएसजी और जलवायु जोखिम पर कर्मचारी प्रशिक्षण और कौशल निर्माण हेतु कार्य करना
- पूरे संगठन में एक मजबूत ईएसजी संस्कृति स्थापित करने के लिए बोर्ड और लीडरशिप टीम के लिए नैतिक एआई, साइबर सुरक्षा, डेटा गोपनीयता, नैतिकता और आचरण संहिता जैसे विषयों पर जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन
- बैंक 3 ईएसजी स्तंभों में से प्रत्येक के अंतर्गत निम्नलिखित महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर काम कर रहा है:
- पर्यावरण: जोखिम प्रबंधन फ्रेमवर्क में जलवायु जोखिम को समाविष्ट करना; बैंक के परिचालन में कार्बन उत्सर्जन में कमी के माध्यम से पर्यावरण प्रबंधन करना; तथा संवहनीय/ ग्रीन फायनांस
- सामाजिक: ग्राहक की गोपनीयता और सूचना की सुरक्षा; डिजिटलीकरण को प्रोत्साहन; समावेशी सामाजिक इकाइयों को फायनांस; ग्राहक केन्द्रीयता; तथा कर्मचारी कल्याण एवं क्षमता निर्माण को प्राथमिकता
- गवर्नेंस: अनुपालन पर आधारित संस्कृति का निर्माण; नैतिकता आधारित व्यवसाय और गवर्नेंस पर बल।
बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने ग्रीन डिपॉज़िट, आवासीय रूफटॉप सोलर लोन स्कीम और ग्रीन हाइड्रोजन फाइनेंसिंग स्कीम जैसे कई संवहनीय फायनांस उत्पाद पेश किए हैं। बैंक ने एक नैतिक आचरण संहिता भी लागू की है जो कर्मचारियों, वेंडरों और अन्य भागीदारों से अपेक्षित नैतिक आचरण के सिद्धांतों का उल्लेख करती है।