हीट स्ट्रोक आने पर इन तरीकों से करें मदद और बचाएं जान

हीट स्ट्रोक
हीट स्ट्रोक

दिल्ली समेत के देश कई इलाकों में इस समय गर्मी का सितम जारी है। कई जगह पारा 40 डिग्री के पार जा चुका है। साथ ही मौसम विभाग की तरफ से हीटवेव को लेकर भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। ऐसे में इस मौसम में अपना ख्याल रखना बेहद जरूरी है। हालांकि, कई बार सभी सावधानियां बरतने के बाद भी कुछ लोग लू या हीटस्ट्रोक का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे क्या होता हीटस्ट्रोक और कैसे होते हैं इसके लक्षण। साथ ही जानेंगे लू लगने पर किन बातों का ध्यान रखें और कैसे करें इसका इलाज।

क्या होता है हीटस्ट्रोक?

हीट स्ट्रोक
हीट स्ट्रोक

हीटस्ट्रोक तब होता है, जब शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है और व्यक्ति ठंडा नहीं हो पाता। शरीर में बढ़ी यह गर्मी ब्रेन और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचाता है, जिसकी वजह से यह जानलेवा हो सकता है। यह गर्मी में हैवी एक्टिविटी करने या बहुत ज्यादा देर तक गर्म जगह पर रहने के कारण हो सकता है। इसके अलावा हीटस्ट्रोक गर्मी से होने वाली थकावट यानी हीट एग्जॉशन के कारण भी हो सकता है।

हीटस्ट्रोक के लक्षण

104 डिग्री फारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) या उससे ज्यादा बुखार
कन्फ्यूजन, बेचैनी और बोलने में परेशानी
ड्राई स्किन या बहुत पसीना आना
मतली और उल्टी
त्वचा का लाल होना
पल्स का तेज होना
तेज सांस लेना
सिरदर्द
बेहोशी
दौरा पडऩा
कोमा

लू लगने कर क्या करें?

अगर कोई व्यक्ति हीटस्ट्रोक का शिकार हो जाए, तो निम्न बातों का ध्यान रखें और उन्हें फस्र्ट एड के तौर पर यह इलाज दें-
व्यक्ति को ठंडे पानी के टब या ठंडे शॉवर में रखें।
व्यक्ति पर पाइप से डालें।
व्यक्ति को ठंडे पानी से स्पॉन्ज करें।
गर्दन, बगल और कमर पर आइस पैक या ठंडा, गीले तौलिया रखें।
व्यक्ति को ठंडी, गीली चादर से ढकें।
अगर व्यक्ति होश में है, तो उसे ठंडा पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स रिच ड्रिंक या बिना कैफीन वाला कोई दूसरा नॉन-अल्कोहॉलिक ड्रिंक दें।
व्यक्ति होश में नहीं है और सांस लेने, खांसने या हिलने-डुलने कोई लक्षण नहीं दिखाता है, तो सीपीआर शुरू करें।

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