
भारतीय रसोई की बात हो और उसमें विविधता न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। हर राज्य, हर संस्कृति की अपनी एक खास पहचान होती है, जो उनके खाने में साफ झलकती है। सिंधी लोगों का खाना भी ऐसा ही है, जिसमें बहुत मसाले होते हैं, अनोखी खुशबू आती है और वह बहुत खास होता है। बता दें कि जब सिंधी नाश्ते की बात होती है तो दाल पकवान का नाम सबसे पहले आता है। मगर क्या आप जानते हैं कि ये स्वादिष्ट पकवान कैसे बना और कैसे एक साधारण-सी रोटी, सिंधी नाश्ते की शान बन गई ? चलिए, जानते हैं इस मजेदार व्यंजन का इतिहास और इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें। क्या आप जानते हैं दाल पकवान का इतिहास, ऐसे हुई थी इसकी शुरुआत
कहां से हुई दाल पकवान की शुरुआत?
दाल पकवान की जड़ें सिंध क्षेत्र से जुड़ी हैं, जो आज पाकिस्तान में स्थित है। बता दें, सिंध का मौसम गर्म और शुष्क होता है। ऐसे वातावरण में खाने को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती थी। यही वजह है कि सिंधी रसोइयों ने ऐसे व्यंजन विकसित किए जो जल्दी खराब न हों।
पकवान, जो कि एक कुरकुरी तली हुई पूरी जैसा होता है, इसी सोच का नतीजा है। जहां ताजी रोटियां जल्दी खराब हो जाती थीं, वहीं पकवान कई दिनों तक सुरक्षित रह सकता था।
वहीं दूसरी ओर, चना दाल भी सिंधी भोजन का एक अहम हिस्सा रही है। चना दाल को लंबे समय तक बिना खराब हुए रखा जा सकता था और जब मसालों के साथ पकाया जाता था, तो यह एक पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन बनता था। धीरे-धीरे, चना दाल और पकवान का मेल एक ऐसा स्वाद बन गया, जो सिंधी घरों में खास नाश्ते का हिस्सा बन गया।
बंटवारे के बाद भी कायम रहा स्वाद
1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान, कई सिंधी परिवारों ने भारत में आकर बसना शुरू किया। साथ ही, वे अपने पारंपरिक व्यंजन भी अपने साथ लाए। महाराष्ट्र के उल्हासनगर और चेंबूर जैसे इलाकों में सिंधी समुदाय ने अपने स्वादों की खुशबू फैलानी शुरू की।
दाल पकवान भी इसी सांस्कृतिक धरोहर का एक हिस्सा बन गया। आज यह न केवल सिंधी घरों में, बल्कि सडक़ किनारे के स्टॉल्स और कैफे में भी लोगों का पसंदीदा नाश्ता बन चुका है।
पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा स्वाद
दाल पकवान सिर्फ खाने की चीज नहीं, बल्कि संस्कृति से जुड़ा एक अहम हिस्सा है। त्योहारों पर, रविवार के विशेष नाश्ते में या पारिवारिक समारोहों में इसे बड़े प्यार से परोसा जाता है। आमतौर पर इसे इमली की चटनी, बारीक कटे प्याज और हरी मिर्च के साथ परोसा जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी निखर उठता है। पकवान बनाने के लिए मैदा में अजवाइन डालकर आटा गूंथा जाता है। फिर उसे बेलकर गोल डिस्क में आकार दिया जाता है और धीमी आंच पर कुरकुरा तला जाता है। दूसरी ओर, चना दाल को हल्दी, धनिया पाउडर और हींग जैसे मसालों के साथ स्वादिष्ट तरीके से पकाया जाता है। जब गरमागरम दाल और कुरकुरा पकवान एक साथ प्लेट में सजते हैं, तो जो स्वाद बनता है, वह वाकई लाजवाब होता है।
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