
चाहे डिटॉक्स हो या फिर क्लींजिंग दोनों का एक ही मकसद होता है, शरीर को अंदर से साफ करना। हमारे आस-पास मौजूद पॉल्यूशन या खाने-पीने की चीजों में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स की वजह से शरीर में टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं और समय-समय पर इनकी सफाई हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी है। काफी सारी ऐसी डाइट मौजूद हैं, जिनकी मदद से आप अपनी बॉडी को अंदर से डिटॉक्स या क्लीन कर सकते हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले कुछ बातों को जान लेना जरूरी है। जरूरी है शरीर के अंदर की सफाई, लेकिन इन बातों का भी रखना होगा ध्यान
जब तक न हों सारे ऑर्गेन हेल्दी

डिटॉक्स डाइट तभी असर करती है, जब आपके अंग भी स्वस्थ हों। लिवर, किडनी, डाइजेस्टिव सिस्टम, स्किन और लंग्स हमारे शरीर से टॉक्सिन्स को निकालने का काम नेचुरली करते रहते हैं। अगर ये सभी अंग अपना काम अच्छी तरह कर रहे हों, तभी आपकी डिटॉक्स डाइट अपना असर दिखा सकती है। अगर यूरीन का रंग गहरा या लाल रंग का हो या यूरीनेशन के दौरान दर्द महसूस हो रहा हो, त्वचा और आंखों में पीलापन नजर आए, थकान बनी रहे, तो ये लक्षण बताते हैं कि शरीर को डिटॉक्स की जरूरत है। साथ ही मेडिकल केयर की भी।
शराब का सेवन डिटॉक्स में रुकावट
कई स्टडीज बताती है कि शराब का ज्यादा सेवन आपके लिवर को डैमेज करता है। उसमें फैट जमा होने लगता है, सूजन और जख्म हो जाते हैं। ऐसी स्थिति होने पर आपका लिवर अपना सबसे जरूरी काम यानी, वेस्ट को फिल्टर करने और आपके शरीर से टॉक्सिन्स निकालने का काम सही तरीके से नहीं कर पाता। अगर शराब का सेवन पूरी तरह से बंद कर दिया जाए, तो आपका शरीर डिटॉक्स की प्रक्रिया अच्छी तरह कर सकेगा।
नींद पूरी करें
हर रात अच्छी नींद लेने से आपकी सेहत अच्छी रहती है और डिटॉक्सिफिकेशन की नेचुरल प्रक्रिया भी बेहतर होती है। नींद पूरी करने से शरीर अपने आपको रीचार्ज कर लेता है और दिनभर इक_ा होने वाले टॉक्सिन्स को भी बाहर कर देता है। ऐसा ही एक वेस्ट प्रोडक्ट है बीटा-एमीलॉयड, जो कि अल्माइमर की बीमारी का कारण बनता है।
ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं
पानी सिर्फ आपकी प्यास ही नहीं बुझाता, बल्कि ये आपके शरीर के टेम्परेचर को भी कंट्रोल करता है, जोड़ों को ल्युब्रिकेट करता है, पाचन को ठीक करता है और आपके शरीर से वेस्ट निकालकर उसे डिटॉक्स करने का काम भी करता है। आपका शरीर सही तरीके से काम करे और एनर्जी यूज करने के लिए पोषक तत्व सही तरीके से टूटें, इसके लिए सेल्स को लगातार खुद को रिपेयर करना होता है। इस प्रक्रिया में आपके शरीर में वेस्ट इक_ा होते हैं और उसका शरीर में बने रहना नुकसान पहुंचा सकता है। इस वेस्ट को शरीर से निकालने के लिए डिटॉक्सिफिकेशन और भी जरूरी हो जाता है। इसलिए खुद को हाइड्रेट रखें। पुरुषों को जहां दिनभर में 3.7 लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है, वहीं महिलाओं को 2.7 लीटर की।
शुगर वाले और प्रोसेस फूड्स कम कर दें
रिसर्च बताते हैं कि ज्यादा शुगर और हाई प्रोसेस वाली चीजें खाने से मोटापा व अन्य क्रॉनिक बीमारियां जैसे हार्ट डिजीज, कैंसर और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों की वजह से शरीर की डिटॉक्स करने की नेचुरल क्षमता को भी नुकसान पहुंचता है। आपको अपने शरीर के डिटॉक्स सिस्टम को हेल्दी रखने के लिए जंक और शुगरी फूड कम से कम लेना चाहिए।
डिटॉक्स या क्लींजिंग के कुछ नुकसान
पोषक तत्वों की कमी हो जाती है: क्लींजिंग और डिटॉक्स डाइट को कई बार उतना बैलेंस नहीं माना जाता है। ऐसे में इसका खतरा बढ़ जाता है कि आपको जरूरी प्रोटीन, न्यूट्रिएंट्स और इलेक्ट्रोलाइट्स न मिल रहे हों।
एनर्जी कम हो जाती है: डिटॉक्सिफिकेशन के दौरान डाइट और कैलोरी को सीमित कर देने की वजह से एक्सरसाइज करने की ताकत कम रह जाती है। इस प्रक्रिया की वजह से आपका मेटाबॉलिज्म और ब्लड शुगर का लेबल प्रभावित होता है।
पेट से जुड़ी समस्या: कई ऐसी क्लींजिंग और डिटॉक्स डाइट है, जिसका असर पेट पर पड़ता है। कई बार डायरिया की समस्या भी हो जाती है। इसलिए किसी एक्सपर्ट की सलाह पर ही इस जर्नी को शुरू करें।
डिटॉक्स और क्लींजिंग में क्या फर्क है?
क्लींजिंग में जहां आप सीधे डाइजेस्टिव सिस्टम पर फोकस करते हैं और गंदगी को बाहर निकालते हैं, वहीं डिटॉक्स की प्रक्रिया थोड़े व्यापक रूप में की जाती है। इसमें लिवर, किडनी और अन्य ऑर्गेन को साफ करने पर ध्यान दिया जाता है।
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