मुख्यमंत्री पशुधन योजना: एक कॉल से पशुपालकों को मिली बड़ी राहत

पशुधन योजना
पशुधन योजना

जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की महत्वपूर्ण योजना में से एक मोबाइल वेटरनरी यूनिट (एमपीयू) प्रदेश के पशुपालकों व किसानों के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध हो रही है। इसका इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब तक इस यूनिट के जरिए 11 लाख पशुपालकों ने लाभ उठाया है। राज्य में 44 लाख मवेशियों का इलाज इस वैन के जरिए किए जा चुका है। इस वैन के फील्ड में आने के बाद अब पशुपालकों को इलाज के लिए अपने मवेशियों को दूर ले जाने की जरूरत नहीं रही, बल्कि एक कॉल पर पशु चिकित्सा सेवा उनके दरवाजे पर हाज़िर हो रही है।

यह योजना भारत सरकार और राज्य सरकार के 60:40 अनुपात के फंडिंग पैटर्न से संचालित है। विभाग द्वारा इस योजना का संचालन सीएसआर के तहत किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत कॉल सेंटर इंडसइंड बैंक की सहायक संस्था बीआईएफएल कर रही है। इसके अलावा विभाग आधारभूत संरचना और लीजलाईन का खर्च वहन कर रहा है। इससे राज्य को तीन करोड़ रुपये का सालाना बचत हो रही है।

पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि इसका मकसद उन इलाकों में चिकित्सा सेवा देना है, जहां वेटनरी हॉस्पिटल जैसी सुविधाएं सीमित हैं। प्रदेश में 536 यूनिट्स कार्यरत हैं। इस वैन के जरिए पशु चिकित्सा, कृत्रिम गर्भाधान, ब्रीडिंग, टीकाकरण, पशुओं के छोटे ऑपरेशन, ड्रेसिंग, गर्भ की जांच समेत कृमिनाशक जैसी सेवाएं मिलती हैं।

सरकार ने पशुओं के इलाज के लिए इस मोबाइल वैन को टोल फ्री कॉल सेंटर नंबर 1962 से जोड़ा है। इस कॉल सेंटर नंबर पर प्रातः: साढ़े 8 बजे से सायं साढ़े 4 बजे तक कॉल करके सेवा को बुक कर सकते हैं। इस पर कॉल सेंटर के साथ-साथ सॉफ्टवेयर और जीपीएस ट्रैकिंग जैसी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा वीडियो कॉल और टेली-मेडिसिन के जरिए डॉक्टर से राय लेकर इलाज की सुविधा भी दी जा रही है।

इस कॉल सेंटर सेवाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए अप्रैल-2025 में चैटबॉट सुविधा को भी जोड़ दिया है। वर्तमान में यह सुविधा हाइब्रिड मोड पर उपलब्ध है। जैसे ही कोई पशुपालक इस नंबर पर कॉल करता है, उसकी शिकायत दर्ज की जाती है। इसके बाद इलाके में तैनात मोबाइल यूनिट तुरंत मौके पर पहुंचती है। यह यूनिट्स आवश्यक दवाओं, ट्रेंड पशु चिकित्सकों और स्टाफ से लैस है। इसे डोर स्टेप एनिमल ट्रीटमेंट सर्विस भी कहा जाता है।