वर्ल्ड मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे पर मोशन एजुकेशन में डॉक्टर्स ने दी जानकारी

मोशन एजुकेशन
मोशन एजुकेशन
  • छात्राओं को दिए पीरियड्स के दौरान अपना ख्याल रखने के टिप्स

कोटा। नारी के जीवन में मासिक धर्म यानी पीरियड्स उनकी प्रकृति से जुड़ी प्रक्रिया है। पीरियड्स के बारे में बात करने में न केवल गांवों में बल्कि शहरों में बहुत सारी शिक्षित महिलाएं भी झिझकती हैं। वे नहीं जानतीं कि इस दौरान उन्हें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। ऐसे में बहुत सारी महिलाएं खुद के स्वास्थ्य को खतरे में डाल देती हैं। डॉक्टर्स ने यह कहा मोशन एजुकेशन के दक्ष कैम्पस में बुधवार को वर्ल्ड मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे के अवसर पर। जागरूकता सेमिनार में डॉ. रेशु अग्रवाल, डॉ. कनुप्रिया चौधरी, डॉ. मनीषा और डॉ. बबलेश ने कहा कि स्वच्छता बनाए रखने से पीरियड्स के दौरान होने वाले संक्रमण से खुद को बचाया जा सकता है। लड़कियों को मेंस्ट्रुअल साइकिल के बारे में बताकर जागरूक किया ताकि वे इससे डरें नहीं और परेशान न हो। ज्वाइंट डायरेक्टर और नीट डिवीजन के हेड अमित वर्मा ने कहा कि पढाई निर्बाध चलती रहे, इसके लिए ऐसे कार्यक्रमों का खास महत्व है।

कार्यक्रम का संचालन सीनियर फेकल्टी श्रीमती रेनू सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि हर साल 28 मई को पूरी दुनिया में ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ मनाया जाता है। इसको मनाने के पीछे का उद्देश्य लड़कियों/ महिलाओं को पीरियड्स यानी महीने के उन पांच दिनों में स्वच्छता और सुरक्षा के लिए जागरूक करना है। आमतौर पर महिलाओं के मासिक धर्म 28 दिनों के भीतर आते हैं और इसका पीरियड पांच दिनों का होता है। इसी कारण इस खास दिवस को मनाने के लिए पांचवें महीने मई की 28 तारीख चुनी गई। डॉ. रेशु अग्रवाल ने बताया कि गांवों और छोटे शहरों में बहुत सारी महिलाएं पीरियड्स में कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। इसका दुबारा इस्तेमाल करने के लिए धोने के बाद छिपाकर सुखाने के चक्कर में खुली हवा या धूप नहीं लग पाती।

ऐसे में इसके इस्तेमाल से गंभीर संक्रमण हो सकता है। पीरियड्स के दिनों में महिलाओं को अपने बैग में हमेशा एक्स्ट्रा सेनेटरी नैपकिन, टिश्यू पेपर, हैंड सैनिटाइजर, एंटीसेप्टिक दवा वगैरह रखने की सलाह दी जाती है। स्कूल, कोचिंग, कॉलेज, कार्यस्थल या कहीं भी बाहर निकलें तो किसी भी वक्त इनकी जरुरत पड़ सकती है। डॉ. कनुप्रिया चौधरी ने कहा कि पीरियड के दौरान कपड़े की जगह पैड का इस्तेमाल करना ज्यादा सुरक्षित होता है। लंबे समय तक एक ही पैड लगाने से पसीने के कारण पैड नम रहता है। देर तक ऐसा होने के कारण संक्रमण का खतरा रहता है। इसलिए 6-8 घंटे में महिलाएं अपना पैड बदल दें, तो संक्रमण का खतरा नहीं रहता।

डॉ. मनीषा ने बताया कि पीरियड्स के दौरान सफाई ज्यादा अहम हो जाती है। पीरियड्स में ज्यादा बहाव के दौरान बार-बार पैड बदलने के झंझट से बचने के लिए कुछ महिलाएं दो पैड का इस्तेमाल करती हैं, जो गलत तरीका है। एक पैड की सोखने की क्षमता जितनी है, उतना ही सोखेगा। दो पैड एक साथ लगाने से संवेदनशील अंग के पास गर्मी बढ़ेगी, बैक्टीरिया ज्यादा पनपेंगे और दुर्गंध भी देंगे। डॉ. बबलेश ने कहा कि शरीर के संवेदनशील अंगों में भी गुड बैक्टीरिया और बैड बैक्टीरिया होते हैं। अच्छे बैक्टीरिया आपको छोटे-मोटे संक्रमण से स्वत: बचा लेते हैं। बैड बैक्टीरिया नष्ट करने की भी क्षमता होती है। ऐसे में साबुन की जगह केवल गुनगुने पानी से सफाई ही काफी होती है। गीले पैड को लंबे समय तक इस्तेमाल से आपकी जांघों और निजी अंगों पर लाल चकत्ते पड़ सकते हैं। जलन भी हो सकती है। इससे बचाव के लिए समय-समय पर पैड बदलते रहना चाहिए। इस्तेमाल किए गए पैड को पेपर या नैपकिन में लपेटकर कूड़ेदान में फेंकें।