
जयपुर। देवस्थान विभाग की वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा योजना- 2025 के अन्तर्गत बजट घोषणा अनुसार पहली वातानुकूलित ट्रेन शुक्रवार को जयपुर के दुर्गापुरा रेलवे स्टेशन से रामेश्वरम के लिए रवाना हो गई। इस “राजस्थान वाहिनी भारत गौरव पर्यटक ट्रेन” को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। साथ ही उन्होंने रिबन काटकर तीर्थ यात्रियों को कोच में प्रवेश दिलाया। रेलवे स्टेशन जयपुर पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में देवस्थान विभाग के मंत्री जोराराम कुमावत, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ सांसद मंजू शर्मा, जिलाध्यक्ष अमित गोयल, महापौर सौम्या गुर्जर, देवस्थान विभाग के शासन सचिव केके पाठक,आयुक्त वासुदेव मालावत, डीआरएम विकास पुरवार,अतिरिक्त आयुक्त प्रथम रतनलाल योगी,द्वितीय महेंद्र देवतवाल आदि मौजूद रहे।

इससे पहले आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने तीर्थ यात्रियों के लिए ट्रेन में साउंड सिस्टम लगाकर धार्मिक भजन सुनाने के लिए कहा। मंत्री जोराराम कुमावत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का सम्मान किया। देवस्थान विभाग के मंत्री कुमावत ने बताया कि सवाई माधोपुर के रास्ते रामेश्वरम, मदुरै की तीर्थ यात्रा के लिए जा रहे तीर्थयात्रियों को तुलसी माला व पटवस्त्र भेंट किए गए हैं। आठ दिवसीय यात्रा में यह ट्रेन रामेश्वरम में रामनाथ स्वामी ज्योतिर्लिंग, धनुषकोटि, ब्रह्मकुंड और मदुरै में प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर के दर्शन मुख्य रूप से कराएगी। देवस्थान विभाग की तीर्थयात्राओं में यह सर्वाधिक दूरी की यात्रा है। यात्रा में सभी यात्रियों की देखरेख के लिए एक ट्रेन प्रभारी, प्रत्येक कोच में दो सरकारी कर्मचारी अनुदेशक, साथ ही एक डॉक्टर व दो नर्सिंग अधिकारी भी रहेंगे। सभी तीर्थ यात्रियों के लिए देवस्थान विभाग की ओर से भोजन, भ्रमण, यातायात व रुकने की व्यवस्था निशुल्क रहेगी।
उन्होंने कहा कि यह प्रयास किया गया है कि राजस्थानी वरिष्ठजन इस ट्रेन में सवार होकर अपनी धरती व संस्कृति पर गर्व कर सकें, साथ ही यह ट्रेन जहां जाए, वहां अन्य लोगों को भी आकर्षित कर राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा दे। राजस्थान की प्रकृति व संस्कृति के अनुरूप सुसज्जित यह ट्रेन बाहर से पैलेस ऑन व्हील्स से भी अधिक भव्य दिखेगी। राजस्थान वाहिनी भारत गौरव पर्यटक ट्रेन में कुल 14 कोच हैं, जिसमें 10 यात्री कोच हैं। राजस्थान के दुर्ग, पुरासम्पदा, मंदिर, नृत्य, वाद्य, उत्सव, कला आदि वैशिष्ट्य की थीम पर अलग-अलग डिब्बों को सजाया गया है। मरुधरा में सूर्योदय व सूर्यास्त की स्वर्णिम आभा को प्रदर्शित करने के लिए इसकी थीम में पीताभ केसरिया रंग को वरीयता दी गयी है। डिजाइन में राजस्थान के राजसी स्वरूप के साथ-साथ मंदिर व शुभत्व के विविध प्रतीकों व चिह्नों का भी प्रयोग किया गया है। डिजाइन में राजस्थान की पहचान बने पशु-पक्षियों को भी विशेष स्थान दिया गया है। इनमें गाय व ऊँट के अतिरिक्त रणथंभौर के बाघ व ताल छापर के कृष्णमृग को भी स्थान दिया गया है।