
जयपुर। जीवन की दृष्टि से पर्यावरण मानव के लिए सर्वाेच्च जरूरत है। जल, जंगल और जमीन तीनों उसके प्रमुख आधार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण को बहुत गंभीरता से लेते हुए पौधारोपण को बहुत महत्वपूर्ण माना है। ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत लोगों से अपनी मां के साथ मिलकर या उनके नाम पर कम से कम एक पौधा लगाने की अपील की।

नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का शुभारंभ करते हुए नई दिल्ली के बुद्ध पार्क में पीपल का पौधा लगाया। साथ ही उन्होंने दुनिया भर के लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी मां के साथ मिलकर अथवा उनके नाम पर एक पौधा़ जरूर लगाएं। यह पौधा विकसित होकर पेड़ बनेगा, यह उनकी तरफ से अपनी मॉं लिए एक अनमोल उपहार होगा। प्रधानमंत्री के इस अभियान से प्रेरित होकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ‘हरियालो राजस्थान’ अभियान की शुरुआत की। उन्होंने पिछले वर्ष 7 अगस्त को हरियाली तीज के अवसर पर दूदू के गाहोता में पीपल का पौधा लगाकर इस अभियान का शुभारंभ किया और पांच वर्षों में राज्य में 50 करोड़ तथा वर्ष 2024-25 में 7 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया।
हरियालो राजस्थान का उद्देश्य
हरियालो राजस्थान का मुख्य उद्देश्य राजस्थान को हरा भरा बनाना ओर वन क्षेत्र का विस्तार करना, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु संतुलन बनाए रखना और जैव विविधता का संरक्षण तथा वन्यजीवों के लिए बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है। इसके साथ ही स्थानीय समुदायों की जागरूकता बढ़ाकर अभियान में उनकी भागीदारी सुनिश्चित कर पौधारोपण को जन आंदोलन बनाना भी अभियान का लक्ष्य है।
पहले चरण में बना वल्र्ड रिकार्ड
मुख्यमंत्री के आह्वान पर प्रदेश में सभी विभागों ने पौधारोपण के लक्ष्य निर्धारित किए और अभियान के पहले चरण में प्रदेश में सात करोड़ पौधे लगाए गए, जो वल्र्ड रिकार्ड बना। अभियान को आगे बढ़ाते हुए अब हरियालो राजस्थान का दूसरा चरण प्रारंभ हो रहा है और इस वर्ष दस करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है।
जियो टैगिंग से सुनिश्चित होगी निगरानी
पौधों की सुरक्षा के लिए हरियालो राजस्थान मोबाइल एप बनाया गया है। लगाए गए हर पौधे की निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस एप के माध्यम से प्रत्येक पौधे की जियो टैगिंग की जाएगी।
नवाचार और तकनीक का अधिकतम होगा उपयोग
इस अभियान को नवाचार, आधुनिक तकनीक और जनसहभागिता के माध्यम से जनआंदोलन का रूप देने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। इसी क्रम में नदियों, तालाबों के किनारों, औद्योगिक क्षेत्रों में अपशिष्ट जल के आसपास, विद्यालयों, अस्पतालों तथा नगरीय क्षेत्रों में पौधारोपण को प्राथमिकता दी जा रही है। साथ ही इस अभियान में सामाजिक संगठनों, शैक्षणिक संस्थाओं और स्वयंसेवी संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करते हुए इनके माध्यम से अभियान को जनसामान्य से जोड़ा जा रहा है ताकि यह महज एक सरकारी अभियान न रहकर जन आंदोलन का रूप ले सके।
क्षेत्रीय अनुकूलता के आधार पर होता है पौधों का चयन
अभियान के तहत लगाए जाने वाले पौधों का चयन करते समय उस क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी की अनुकूलता का विशेष ध्यान रखा जाता है जिससे पौधों के जीवित रहने और पेड़ बनने की संभावना अधिक रहे। साथ ही पौधों की उपलब्धता समय पर सुनिश्चित करने के लिए नर्सरियों को भी पहले से तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने पौधारोपण के बाद उनकी समुचित देखभाल भी सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि 200 पौधे लगाने वाले को वृक्ष मित्र बनाया जाएगा। राज्य में 2 हजार वृक्ष मित्र बनाए जाएंगे जिन्हें मानदेय भी दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि हमारा लक्ष्य बहुत महान है, हमें अपने पर्यावरण को बचाना है उसे सुरक्षित करना है। इसलिए जितने उत्साह और जितनी तत्परता से हम पौधे लगा रहे हैं , उन पौधों को जीवित रखने के लिए उससे भी अधिक उत्साह, तत्परता और परिश्रम की जरूरत है। उम्मीद है कि हम सब बड़ी जिम्मेदारी से इस अभियान को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री के हरियालो राजस्थान की संकल्पना को साकार करने की यात्रा के सहभागी बनेंगे।
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