
श्रीराम जनरल इंश्योरेंस ने राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने पॉलिसीधारक उपभोक्ता की याचिका खारिज की, एसजीआईसी की क्लैम सेटलमेंट प्रक्रिया पर मुहर लगाई
· श्रीराम जनरल इंश्योरेंस राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (जयपुर) ने 28.58 लाख रुपए का फ्रॉड क्लैम ठुकराया
· शिकायतकर्ता वास्तविक नुकसान को छिपाकर मनमाने बिल के माध्यम से बढ़ा चढ़ाकर क्लैम पेश किया था
· एक अन्य बीमा कंपनी वाहन को टोटल लॉस घोषित कर चुकी थी, उसी के स्वमित्व को गलत ढंग से पेश किया
· पूरी तरह से नष्ट टोयोटा फॉर्च्यूनर का नए सिरे से बीमा कराया गया, कोर्ट ने धोखाधड़ी पहचानी, क्लैम को खारिज कर दिया
· श्रीराम जनरल इंश्योरेंस की सशक्त क्लैम वेरिफिकेशन और फ्रॉड कंट्रोल प्रोसेस पर लगी मुहर
जयपुर: श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एसजीआईसी) को राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (एससीडीआरसी) में एकमहत्वपूर्ण कानूनी जीत मिली। कंपनी की ओर से केस लड़ रहे वकील विजय अग्रवाल ने जयपुर स्थित इस आयोग में मोटर इंश्योरेंस के फ्रॉड क्लैम सेसफलतापूर्वक बचाव किया | आयोग ने 17 जून, 2025 को पॉलिसी धारक उपभोक्ता मुकेश कुमार की ओर से दायर 28,58,926 रुपए के मोटर इंश्योरेंसओन डेमेज टोटल लॉस क्लैम को खारिज कर दिया।
शिकायतकर्ता मुकेश कुमार ने अपनी टोयोटा फॉर्च्यूनर (आरजे 18 यूए 8222) का श्रीराम जनरल इंश्योरेंस से बीमा कराया। अगस्त 2017 में, वाहन राजस्थान केभीलवाड़ा जिले में एक दुर्घटना का शिकार हो गया। शिकायतकर्ता ने इसका निपटारा टोटल लॉस मानकर करने का आवेदन किया। श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कीजांच में इस क्लैम में गंभीर विसंगतियां सामने आईं। यह वाहन तो काफी समय पहले फरवरी 2016 में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त या टोटल लॉस घोषित किया जाचुका था । उस समय इसका स्वामित्व किसी अन्य कंपनी के पास था। मौजूदा शिकायतकर्ता ने वाहन को कबाड़ में खरीदा। श्रीराम जनरल इंश्योरेंस से इस वाहनका नए सिरे से बीमा करवाने के समय यह बात छिपा ली गई कि यह वाहन पहले ही टोटल लॉस घोषित किया जा चुका है। यह बीमा सौदों के केंद्रीय सिद्धांत”गुड फैथ’ का खुला उल्लंघन था।
हालांकि बीमा कंपनी अपनी गहन पड़ताल में इन विसंगतियों की पहचान करने में सफल रही:-
जिस वाहन के लिए यह क्लैम किया गया उसका बीमा और मालिकाना हक दोनों का एक बेहद जटिल इतिहास था। वाहन की कई पुरानी पॉलिसियों होने की बातसामने आई। साथ ही एक पिछली दुर्घटना के प्रमाण भी मिले। इसमें वाहन को टोटल लॉस घोषित किया जा चुका था।
क्लैम करने वाले वाहन को नई पॉलिसी के तहत पंजीकृत कराने की कोशिश की जबकि पुराने सेटलमेंट में इसे पहले ही पूरी तरह से डेमेज के रूप में वर्गीकृत कियाजा चुका था।
स्वतंत्र सर्वेयर, जांचकर्ताओं और कंपनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर ने इस बात की बारंबार पुष्टि की दावे में नुकसान को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया। सच्चाई यह थी कि यहकोई भी दावा वास्तविक दुर्घटना इतिहास के अनुरूप नहीं था।
श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी के कार्यकारी निदेशक, अश्विनी धनावत ने आयोग के फैसले पर कहा, हम वास्तविक पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करनेमें विश्वास रखते हैं। यह फैसला पॉलिसीधारकों की सुरक्षा और बीमा तंत्र की लंबी अवधि स्थयित्व सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों की पुष्टि करता है। यह हमारीसशक्त क्लैम सेटलमेंट प्रोसेस का भी प्रमाण है। यह प्रक्रिया धोखाधड़ी वाले दावों को पहचान कर उन्हें चिन्हित करती है। यह फैसला एक मजबूत क्लैम सेटलमेंटढांचे का पालन करने पर हमारे ध्येय को सही ठहराता है। यह फ्रॉड की सख्ती से पहचान करता है। उसे रोकता है। साथ ही सही दावों को सपोर्ट करता है।’’
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