
ज्वैलर्स एसोसिएशन शो बड़ी उपलब्धि
जयपुर। जयपुर ज्वेलर्स एसोसिएशन की स्थापना व्यापारियों, आभूषण कारीगरों और रत्न विशेषज्ञों के संगठनात्मक हितों की रक्षा और उनके समुचित विकास हेतु की गई थी। इस संगठन ने संगठित व्यापार, श्रमिकों के अधिकारों, और गुणवत्ता मानकों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बीते नौ दशकों में इस संस्था ने पारंपरिक कारीगरी को आधुनिक तकनीक से जोड़ते हुए जयपुर को एक वैश्विक ज्वेलरी हब बना दिया। यही कारण है कि आज जयपुर पिंक सिटी के साथ जेम्स एंड ज्वेलरी कैपिटल ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है। यहां की पारंपरिक कुंदन, मीनाकारी, जड़ाऊ और थांपा तकनीक पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। इस समृद्ध विरासत को संस्थागत रूप देने और व्यापारिक विस्तार हेतु वर्ष 1927 में जयपुर ज्वेलर्स एसोसिएशन की स्थापना की गई। इस एसोसिएशन ने एक ऐसा मंच विकसित किया जो आज न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश की ज्वेलरी इंडस्ट्री को दिशा दे रहा है – यह मंच है जेएएस (ज्वैलर्स एसोसिएशन शो)। जयपुर ज्वेलर्स एसोसिएशन द्वारा वर्ष में एक बार आयोजित होने वाला जेएएस शो, इस संस्था की सबसे प्रमुख उपलब्धियों में से एक है। यह शो न केवल व्यापारिक मेल है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत, डिज़ाइन नवाचार, और आर्थिक समृद्धि का उत्सव भी है।
जेएएस शो – स्वरूप और उद्देश्य

जेएएस एक बिजनेस टू बिजनेस फॉर्मेट पर आधारित है जिसमें देश-विदेश से व्यापारी, डीलर, थोक विक्रेता, डिज़ाइनर, निर्माता और निवेशक भाग लेते हैं।
1. ज्वेलरी व्यापार को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर का मंच प्रदान करता है
2. शिल्पकारों को व्यवसायिक पहचान दिलाना
3. टेक्नोलॉजी, डिज़ाइन और वैश्विक रुझानों को साझा करना
4. राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को आर्थिक ताकत में बदलना
छ्व्रस् का राजस्थान की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
1. व्यापारिक प्रवाह और जीडीपी में योगदान
राजस्थान की ज्वेलरी इंडस्ट्री, खासकर जयपुर की, राज्य की कुल निर्यात आय में लगभग 20-25त्न तक का योगदान देती है। जेएएस जैसे आयोजन इस व्यापारिक गतिविधि को और अधिक सशक्त बनाते हैं। इस शो के दौरान हजारों करोड़ रुपये का व्यापारिक लेन-देन होता है नए निर्यात के प्रस्ताव प्राप्त होते हैं निवेशकों और खरीदारों का विश्वास बढ़ता है
यह सभी गतिविधियाँ राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में सीधा योगदान करती हैं।
2. रोजगार सृजन
जेएएस और इससे जुड़ी गतिविधियों से विभिन्न स्तरों पर सीधा और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होता है:
डिजाइनर्स, कारीगरों, कटिंग-पॉलिशिंग वर्कर्स
ट्रांसपोर्ट, हॉस्पिटैलिटी, इवेंट मैनेजमेंट
मीडिया, प्रिंटिंग, विज्ञापन, सिक्योरिटी
इस प्रकार, जेएएस न केवल व्यापार को बढ़ावा देता है बल्कि हजारों परिवारों की आजीविका का आधार भी बनता है।
3. स्थानीय कारीगरी को वैश्विक पहचान
जयपुर की पारंपरिक आभूषण तकनीकें जैसे कुंदन, जड़ाऊ, मीनाकारी आदि छ्व्रस् के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय खरीदारों तक पहुँचती हैं।
यह भी पढ़ें : मनीष कल्ला बने राजस्थान फाउंडेशन के कंपाला चैप्टर के अध्यक्ष