ज्यादा स्मार्टफोन देखना ठीक नहीं, प्रभावित हो सकती है याददाश्त-एकाग्रता

स्मार्टफोन
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आज के डिजिटल युग में स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। हमारी जेब में समा जाने वाला यह छोटा सा उपकरण, हमारे जीवन को बेहद सुविधाजनक बनाता है। लेकिन, इस सुविधा का एक दूसरा पहलू भी है, इसका अत्यधिक उपयोग हमारी याददाश्त और एकाग्रता को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। कई स्टडी में सामने आया है कि स्मार्टफोन की लत, जिसे ‘डिजिटल डिमेंशिया’ भी कहा जाने लगा है, हमारे मस्तिष्क के कार्यों, विशेष रूप से स्मृति और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता पर नकारात्मक असर डाल रही है। लगातार नोटिफिकेशन्स, सोशल मीडिया फीड्स और बिना रुके जानकारी का अंबार हमारे दिमाग को हमेशा उत्तेजित रखता है, जिससे वास्तविक दुनिया में ध्यान केंद्रित कर पाना मुश्किल हो जाता है। आइए इस लेख में हम विस्तार से जानते हैं कि स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग हमारे याददाश्त और एकाग्रता को कैसे प्रभावित कर रहा है और इससे बचने के लिए हम क्या प्रभावी उपाय अपना सकते हैं। ज्यादा स्मार्टफोन देखना ठीक नहीं, प्रभावित हो सकती है याददाश्त-एकाग्रता

याददाश्त पर प्रभाव

याददाश्त
याददाश्त

स्मार्टफोन का अधिक उपयोग, विशेष रूप से सोशल मीडिया और निरंतर नोटिफिकेशन्स, हमारी अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्मृति को कमजोर करता है। मस्तिष्क की जानकारी को संसाधित करने और संग्रहीत करने की क्षमता प्रभावित होती है, क्योंकि हम लगातार नई जानकारी के संपर्क में रहते हैं। उदाहरण के लिए, हर छोटी जानकारी के लिए गूगल पर बढ़ती निर्भरता के कारण हमारा मस्तिष्क स्वयं उसे याद रखने का प्रयास कम कर देता है, जिससे हमारी याददाश्त की क्षमता घटती जा रही है। शोध में पाया गया कि स्मार्टफोन की लत से हिप्पोकैम्पस, जो स्मृति के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क का हिस्सा है, कम सक्रिय हो जाता है।

एकाग्रता में कमी

स्मार्टफोन का बार-बार उपयोग हमारी एकाग्रता को प्रभावित करता है। मल्टीटास्किंग, जैसे काम के बीच में नोटिफिकेशन्स चेक करना, मस्तिष्क को लगातार विचलित करता है। इससे ‘ध्यान अवधि’ (अटेंशन स्पैन) कम होती है। एक अध्ययन के अनुसार, जो बार-बार फोन इस्तेमाल करता है, सभी नोटिफिकेशन चेक करता है या फोन को हमेशा पास में रखता है, उसकी गहन एकाग्रता यानी डीप फोकस की क्षमता प्रभावित होती है। इसके अलावा, स्क्रीन टाइम से डोपामाइन का लेवल बढ़ता है, जो मस्तिष्क को तुरंत संतुष्टि की आदत डालता है, जिससे लंबे समय तक किसी कार्य पर ध्यान देना मुश्किल हो जाता है।

नींद और मानसिक स्वास्थ्य पर असर

स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग, खासकर रात में, नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को कम करती है, जिससे इनसोम्निया की समस्या होती है। नींद की कमी सीधे याददाश्त और एकाग्रता को नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर अत्यधिक समय बिताने से तनाव और चिंता बढ़ती है, जो मस्तिष्क की कार्यक्षमता को और कमजोर करते हैं।

बचाव के उपाय

स्मार्टफोन के दुष्प्रभावों से बचने के लिए डिजिटल डिटॉक्स जरूरी है। रोजाना स्क्रीन टाइम सीमित करें, जैसे दिन में ज्यादा से ज्यादा 1-2 घंटे ही फोन का इस्तेमाल करें। नोटिफिकेशन्स बंद करें, भोजन या पढ़ाई के दौरान फोन से दूरी बनाएं। ध्यान और योग जैसे अभ्यास एकाग्रता बढ़ाने में मदद करते हैं। रात में सोने से पहले फोन का उपयोग न करें और नीली रोशनी फिल्टर का उपयोग करें। किताबें पढऩा और मस्तिष्क प्रशिक्षण खेल खेलना स्मृति को मजबूत करता है।

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