पारम्परिक भारतीय चिकित्सा पद्धति और एआई के मेल से सामने आएंगे बेहतर परिणाम

एआई
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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद कॉलेज जोधपुर में यशोदा एआई कार्यशाला आयोजित

जोधपुर। भारत की पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली से जुड़ी युवा महिलाओं में डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के साथ ही उन्हें कृत्रिम बुद्धिमत्ता की जानकारी प्रदान करने के लिए, 05 जुलाई को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद कॉलेज जोधपुर में “राष्ट्रीय महिला आयोग” (NCW) और “फ्यूचर शिफ्ट लैब्स” (FSL) की ओर से ‘यशोदा एआई’ कार्यशाला का आयोजन किया गया।

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कार्यशाला का उद्घाटन राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर को करना था लेकिन वो अपरिहार्य कारणों से आयोजन में शामिल नहीं हो पाई। इस कारण उन्होंने कार्यशाला के नाम लिखित संदेश देते हुए कहा कि “यह अनुमान नहीं लगाना चाहिए कि एआई चिकित्सकों की जगह लेगा, बल्कि यह बेहतर डेटा एनॉलिसिस से चिकित्सकों का काम आसान करेगा, उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत महिलाएं, एआई और हेल्थकेयर पर ऑनलाइन कोर्स कर सकती हैं। इसके साथ ही वो हेल्थ टेक या रिसर्च क्लब से जुड़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग, महिलाओं के निजी स्वास्थ्य और परिवार की देर रेख में ही एआई कारगर साबित हो सकता है। इसलिए एक प्रगतिशील और मजबूत समाज के लिए युवा महिलाओं के पास एआई की जानकारी होना जरूरी है।” रहाटकर ने कहा कि, भारत की महिलाएं

समाज के समावेशी विकास के लिए एआई तकनीकी के साथ ही इसके टूल्स की जानकारी आम महिलाओं तक पहुंचाए जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग, फ्यूचर शिफ्ट लैब्स के साथ साझेदारी में देशभर की महिलाओं को डिजिटल कौशल प्रदान करते हुए, एआई तकनीकी को अधिक लोकतांत्रिक बनाने के लक्ष्य के साथ काम कर रहा है। इस तरह की प्रत्येक कार्यशाला के बाद जब प्रतिभागियों के बीच सर्वे कराया जाता है तो उनके बीच एआई की जानकारी और इसके व्यावहारिक प्रयोग को लेकर जानकारी में व्यापक सुधार देखा जाता है।

कार्यशाला में जाने-माने तकनीकी शिक्षक हितेश पम्नानी ने प्रतिभागियों को एआई, साइबर सुरक्षा, डिजिटल करियर के साथ ही एआई तकनीकी को उच्च नैतिक मूल्यों के साथ उपयोग किए जाने से संबंधित टिप्स दिए। उन्होंने आपसी संवाद के जरिए प्रतिभागियों को बताया कि कैसे एआई के जरिए स्वास्थ्य देखभाल के साथ ही, अन्य समाज-उपयोगी लाभ लिए जा सकते हैं।

कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने चैटजीपीटी, जेमिनी और मेटा एआई जैसे उपकरणों के बारे में सीखा, साथ ही राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा प्लेटफार्मों के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। इस दौरान उन्हें साइबर स्कैम, डीपफेक, ऐप-आधारित धोखाधड़ी और डिजिटल वित्तीय धोखाधड़ी से बचाव की जानकारी दी गई। कार्यशाला में 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, सभी को प्रमाणपत्र वितरित किए गए।

इस मौके पर फ्यूचर शिफ्ट लैब्स के संस्थापक नितिन नारंग ने कहा, वर्तमान युग में डिजिटल स्किल, किसी भी व्यक्ति की न सिर्फ क्षमताओं को बढ़ाती है, बल्कि करियर के अवसरों को भी कई गुना बढ़ा देती है। इसलिए युवाओं और विशेष रूप से युवा महिलाओं को इस मौके का फायदा उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग और फ्यूचर शिफ्ट लैब की यशोदा एआई पहल आधुनिक ज्ञान और तकनीकी को भारत की समृद्ध बौद्धिक विरासत के साथ मिलाकर, आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। यह कार्यशाला आयुर्वेद के छात्र-छात्राओं के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई, जिसमें उन्हें एआई के प्रयोग से बीमारियों का पता लगाने से लेकर उपचार और पर्सनलाइज्ड वेलनेस मॉडल तक की जानकारी दी गई।

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