
जयपुर। राजस्थान में एसआई भर्ती घोटाले और पेपर लीक मामलों पर बढ़ते जनाक्रोश के बीच राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के सुप्रीमो और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने एक बार फिर भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। शहीद स्मारक पर धरने और मीडिया को संबोधित करते हुए बेनीवाल ने कहा कि कोर्ट की स्पष्ट फटकार के बावजूद सरकार का हठधर्मिता पर अड़े रहना और दोहरा रवैया बनाए रखना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा, “न्यायपालिका अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। कोर्ट ने राज्य सरकार से सीधा सवाल किया है कि जब पेपर लीक हुआ है, तो यह कैसे तय किया जाएगा कि चयनित अभ्यर्थी सही प्रक्रिया से आए हैं या फर्जी तरीके से?” इस पर उन्होंने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि भजनलाल सरकार अब इस गंभीर विषय को भी ‘क्रेडिट लेने’ का जरिया बना रही है, जबकि यह कोई बच्चों का खेल नहीं है।
युवाओं से किया आह्वान
बेनीवाल ने प्रदेश के युवाओं से सीधा संवाद करते हुए कहा, “मैं लगातार आपकी लड़ाई लड़ रहा हूं, लेकिन आपको भी मजबूती से मैदान में उतरना होगा। अगर आज आपने चुप्पी साधी, तो आने वाली पीढ़ियां आपसे सवाल करेंगी।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह लड़ाई केवल किसी परीक्षा की नहीं, बल्कि न्याय, पारदर्शिता और भविष्य की पीढ़ियों के अधिकारों की लड़ाई है।
बजरी माफिया और पुलिस पर गंभीर आरोप
नागौर सांसद ने राजस्थान में बजरी माफियाओं की बढ़ती दादागिरी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार और पुलिस मिलकर माफियाओं को संरक्षण दे रही है, और रियां क्षेत्र की घटना इसका ताजा उदाहरण है जहां किसानों पर वाहन चढ़ाकर उन्हें कुचला गया। उन्होंने आरोप लगाया कि “प्रदेश में अब कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नहीं बची है, जंगलराज जैसी स्थिति पैदा हो गई है।”
RPSC के पुनर्गठन की मांग दोहराई
बेनीवाल ने साफ तौर पर कहा कि RLP का धरना व संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक एसआई भर्ती को रद्द नहीं किया जाता और राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) का पुर्नगठन नहीं किया जाता। उन्होंने यह भी कहा कि “यह आंदोलन किसी एक व्यक्ति का नहीं, पूरे प्रदेश के युवाओं और उनके सपनों का है।” हाल ही में राजस्थान में आयोजित हुई एसआई भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर पेपर लीक और अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं, जिस पर अदालत ने भी सरकार से जवाब तलब किया है। इसके बावजूद सरकार ने परीक्षा रद्द नहीं की और न ही स्पष्ट कार्रवाई की, जिससे नाराज़ युवाओं और विपक्षी दलों का रोष बढ़ता जा रहा है।