सावधान : दिल्ली में बढ़ रहे लिवर संक्रमण के मरीज, ये है वजह

दिल्ली
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मानसून का ये मौसम सेहत के लिए कई प्रकार की चुनौतियां बढ़ाने वाला माना जाता रहा है। बारिश और इसके चलते होने वाला जलजमाव न सिर्फ मच्छरजनित बीमारियों को बढ़ावा देता है साथ ही दूषित जल के कारण भी कई संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है। राजधानी दिल्ली के कई अस्पतालों से प्राप्त हो रही जानकारियों के मुताबिक दिल्ली के कई हिस्सों में इन दिनों लिवर में संक्रमण (हेपेटाइटिस ए और ई) के मामले बढ़ रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग पेट में दर्द, डायरिया, पीलिया जैसी समस्याओं के साथ अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। हेपेटाइटिस का संक्रमण कुछ स्थितियों में गंभीर लिवर रोग का कारण बन सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को इस मौसम में खान-पान, विशेषतौर पर पीने के पानी की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देते रहने की अपील की है। हेपेटाइटिस ए और ई ये दोनों ही संक्रमण मुख्यरूप से गंदे पानी और दूषित भोजन के जरिए फैलते हैं। बारिश के मौसम में जलभराव, नमी और स्वच्छ पानी की अनुपलब्धता के कारण इसका खतरा काफी बढ़ जाता है जिसको लेकर विशेषज्ञों ने सभी लोगों को अलर्ट किया है।

अस्पतालों में बढ़ रहे मरीज

लिवर
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इन दिनों ओपीडी में रोजाना उल्टी, पीलिया, पेट दर्द और पाचन की अन्य समस्याओं के साथ आने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। जांच में कई रोगियों में हेपेटाइटिस ए या ई संक्रमण देखा जा रहा है। चूंकि कई स्थानों पर बारिश के कारण जलजमाव और अस्वच्छता की स्थिति है, ऐसे में हर साल इस तरह के मामले बढ़ जाते हैं। इस मौसम में अस्वच्छता के कारण पीने का पानी भी दूषित हो जाता है, जो इन रोगों का प्रमुख कारण है। इसके अलावा रेहड़ी-पटरी से बिना सही तरीके के रख रखाव वाली चीजें खाने से भी हेपेटाइटिस और पेट से संबंधित अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

लिवर की बढ़ सकती हैं समस्याएं

नोएडा के अस्पतालों से प्राप्त हो रही जानकारियों के मुताबिक यहां भी ओपीडी में हेपेटाइटिस से संबंधित रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। डॉक्टर कहते हैं आमतौर पर हेपेटाइटिस ए और ई स्वत: ठीक होने वाली बीमारियां हैं, लेकिन कई बार इन्हें पूरी तरह से ठीक होने में दो से छह हफ्ते लग सकते हैं। जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है उनमें इससे गंभीर रोग होने का भी जोखिम रहता है इसलिए जिन स्थानों पर जलजमाव-अस्वच्छता की स्थिति है वहां पर लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। हेपेटाइटिस की स्थिति कई बार पीलिया और गंभीर स्थितियों में लिवर में इंफ्लेमेशन के खतरे क बढ़ाने वाली हो सकती है।

हेपेटाइटिस ए और ई के बारे में जानिए

हेपेटाइटिस-ए एक वायरल लिवर संक्रमण है जो ज्यादातर दूषित पानी और भोजन से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर साल दुनियाभर में लगभग 15 लाख लोग हेपेटाइटिस ए से प्रभावित होते हैं। इसके लक्षणों में थकान, भूख न लगना, बुखार, उल्टी और पीलिया शामिल हैं। अच्छी बात यह है कि हेपेटाइटिस ए आमतौर पर क्रॉनिक नहीं होता और समय पर दवाओं, आराम व देखभाल से ठीक हो जाता है। हेपेटाइटिस ए की ही तरह हेपेटाइटिस ई भी दूषित पानी से फैलता है। इसके शिकार लोगों में भूख न लगने, बुखार, उल्टी, थकान और पीलिया की समस्या देखी जाती है। यह बीमारी गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्युनिटी वाले मरीजों के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है। हेपेटाइटिस ई का कोई खास इलाज नहीं है, इसलिए बचाव ही सबसे बेहतर उपाय माना जाता है।

कैसे करें इन रोगों से बचाव

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मानसून के दिनों में इन बीमारियों का खतरा अधिक होता है। खुले में रखी बाहर की चीजें, कटे फल या खुला खाना खाने से बीमारी का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यही कारण है कि इन दिनों आसपास की स्वच्छता और साफ पानी के इस्तेमाल पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। इन रोगों से बचे रहने के लिए हमेशा उबला या फिल्टर किया हुआ पानी पिएं और बाहर का कुछ भी खाने से बचें। फल और सब्जियां धोकर ही इस्तेमाल करें। भोजन पकाते और खाते समय हाथ धोना जरूरी है। घरों के आसपास जलजमाव रोकें और स्वच्छता बनाए रखें।

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