एमटी 2 बाघिन के शावक ने इलाज के दौरान दम तोड़ा

जयपुर। मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से मंगलवार को एक और बुरी खबर आई है। एमटी 2 बाघिन के शावक ने आखिरकार दम तोड़ दिया। बाघिन तीन अगस्त को मृत पाई गई थी और तभी से उसके इस पांच माह के शावक का इलाज चल रहा था। बाघ एमटी 1 के साथ संघर्ष के दौरान बाघिन की मौत हो गई थी।

एक जून को पहली बार यह बाघिन अपने दो शावकों के साथ नजर आई थी। मुकंदरा से 23 जुलाई से अभी तक यानी 23 दिन के अंतराल में बाघ परिवार में यह तीसरी मौत है। वहीं अभी दो शावक लापता हैं। एक इसी बाघिन का एक शावक तथा दूसरा एमटी-4 बाघिन का शावक भी अभी तक नहीं मिला है। इसके साथ ही मुकंदरा में अब दो टाइगर है एमटी1 बाघ और बाघिन एमटी4 बचे हैं।

शावक का एयर कंडीशनर आईसीयू में इलाज जारी

शावक का तीन डाक्टरों की टीम की देखरेख में इलाज चल रहा था। मेडिकल टीम में डा. राजीव गर्ग, तेजेंद्र सिंह रियाड़, अखिलेश पांडे शामिल थे। जू में शावक के इलाज के लिए एसी (एयर कंडीशनर) आईसीयू बनाया गया था।

टीम ने शावक की लीवर, किडनी की जांच कराई थी। जांच में प्रोटीन की कमी सामने आई थी। इसके लिए ट्रीटमेंट भी दे दिया गया था। शाव खुद फीडिंग नहीं कर रहा था। उसे जोधपुर से मंगवाया गया फूड सप्लीमेंट भी दिया जा रहा था। शावक को मीट के टुकड़े भी दिए जा रहे हैं, जिसे वह खाने का प्रयास कर रहा था। साथ ही सीसीटीवी से निगरानी रखी जा रही था।

2013 में बना था रिजर्व

9 अप्रैल 2013 को मुकंदरा को टाइगर रिजर्व घोषित किया था। प्रदेश में रणथंभौर और सरिस्का के बाद यह तीसरा टाइगर रिजर्व था। राज्य सरकार ने इसमें 759.99 वर्ग किमी एरिया शामिल किया था। इसमें कोटा, बूंदी, झालावाड़ और चित्तौडग़ढ़ का क्षेत्र शामिल किया था।

एमटी-2 बाघिन को रणथंभौर से 18 दिसंबर 2018 को मुकंदरा शिफ्ट किया गया था वहीं तीन अप्रैल 2018 को रामगढ़ विषधारी सेंचुरी से ट्रेंकुलाइज कर मुकंदरा में एमटी-1 बाघ को शिफ्ट किया गा था। वहीं 12 अप्रैल 2019 को एमटी-4 बाघिन को रणथंभौर से मुकंदरा शिफ्ट गया था।