डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसका जोखिम साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है। कुछ दशकों पहले तक इसे उम्र बढऩे के साथ होने वाली बीमारी के रूप में जाना जाता था, हालांकि अब कम उम्र के लोग भी इसका शिकार होते जा रहे हैं। क्या आपको भी बार-बार प्यास लगती है और बार-बार पेशाब आता है? अगर हां, तो ये सिर्फ मामूली लक्षण नहीं हैं ये उस डायबिटीज के संकेत हो सकते हैं जो अंदर ही अंदर आपके शरीर को खोखला कर रही है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की साल 2023 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज का शिकार हैं वहीं 13 करोड़ से अधिक ‘प्री-डायबिटिक’ हैं यानी इन लोगों को भविष्य में डायबिटीज का खतरा अधिक हो सकता है। डायबिटीज की स्थिति आपके आंख, किडनी, हृदय और तंत्रिकाओं को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अच्छी बात ये है कि थोड़ी सी सावधानी, सही जानकारी और आदतों में छोटे-छोटे बदलाव से आप इस बीमारी को रोक सकते हैं। आइए डायबिटीज की समस्या से संबंधित कुछ जरूरी बातें जानते हैं। डायबिटीज की समस्या से लडऩे के लिए करें ये काम
1. डायबिटीज के बारे में कितना जानते हैं आप?
डायबिटीज एक मेटाबॉलिक (चयापचय संबंधी) बीमारी है जिसमें शरीर या तो इंसुलिन हार्मोन नहीं बना पाता या फिर बने हुए इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। इंसुलिन हार्मोन पैंक्रियास में बनता है और शुगर (ग्लूकोज) को कोशिकाओं के अंदर ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने में मदद करता है। जब इंसुलिन की कमी या रेसिस्टेंस हो जाती है, तो खून में शुगर का स्तर लगातार बना रहता है, इसे हाई शुगर की समस्या कहा जाता है।
एक-दो नहीं चार प्रकार की होती है डायबिटीज
डायबिटीज का नाम सुनते ही सबसे पहला ख्याल टाइप-2 डायबिटीज का आता है। पर क्या आप जानते हैं डायबिटीज एक दो नहीं बल्कि चार प्रकार की होती है।
टाइप-1 डायबिटीज: यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पैंक्रियास की स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर देती है जिससे इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। इसमें रोजाना इंसुलिन इंजेक्शन लेने की जरूरत हो सकती है।
टाइप 2 डायबिटीज: यह सबसे सामान्य प्रकार है। इसमें शरीर इंसुलिन बनाता तो है, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं होती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज: गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं में ब्लड शुगर बढ़ जाता है। इससे भविष्य में मां और बच्चे दोनों को टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
डायबिटीज 1.5 लाडा: लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज इन एडल्ट्स (रु्रष्ठ्र) या टाइप 1.5 डायबिटीज में टाइप-1 और टाइप 2 दोनों तरह के डायबिटीज के लक्षण होते हैं।
डायबिटीज को कैसे पहचाना जाए?
डायबिटीज के शुरुआती लक्षण बहुत सामान्य हो सकते हैं और कई बार लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन समय रहते इन्हें पहचानना जरूरी है। इसमें बार-बार पेशाब आने, अत्यधिक प्यास लगने, अक्सर थकान रहने, वजन घटने, धुंधला दिखने और त्वचा पर बार-बार संक्रमण होने या जख्म के देर से भरने जैसी समस्याएं देखी जाती रही हैं। इन्हें अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।
डायबिटीज की जांच कैसे होती है?
आपको डायबिटीज है या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए कुछ टेस्ट किए जाते हैं। इसमें फास्टिंग ब्लड शुगर और खाने के बाद शुगर की जांच की जाती है। फास्टिंग ब्लड शुगर रीडिंग 126 द्वद्द/स्ररु या इससे अधिक वहीं खाने के दो घंटे बाद शुगर लेवल 200 द्वद्द/स्ररु या उससे अधिक रहने को डायबिटीज की तरफ संकेत माना जाता है।
क्या डायबिटीज से बचाव संभव है?
टाइप-1 डायबिटीज से पूरी तरह बचाव संभव नहीं क्योंकि यह आनुवांशिक और ऑटोइम्यून भी होता है। लेकिन टाइप-2 डायबिटीज से बचाव किया जा सकता है।
इसके लिए नियमित 30-45 मिनट की वॉक या व्यायाम करना, वजन नियंत्रित रखना, रिफाइंड शुगर और प्रोसेस्ड फूड से बचाव, भरपूर फाइबर और प्रोटीन युक्त डाइट लेने को लाभकारी माना जाता रहा है। कुछ प्राकृतिक चीजें जैसे करेला, मेथी, जामुन के बीज, गिलोय, नीम की पत्तियां आदि ब्लड शुगर को थोड़ा कम करने में मदद कर सकती हैं लेकिन इन्हें दवा या इंसुलिन का विकल्प नहीं समझना चाहिए।
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