जानिये, कौनसा दूध आपके दिल को बनाएगा मजबूत, एक शोध में हुआ ये खुलासा

दूध
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द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दूध के सेवन और हृदय रोग (सीवीडी) या मृत्यु दर के बीच संबंधों की जांच करने के लिए एक बड़े और लंबे समय तक किए गए नॉर्वेजियन सर्वे के डेटा का इस्तेमाल किया गया। अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि कुल मिलाकर अधिक दूध का सेवन हृदय संबंधी मृत्यु दर में वृद्धि से जुड़ा है। कम वसा वाले दूध की तुलना में अधिक वसा वाले दूध का मृत्यु दर के जोखिम में बढ़ोतरी हुई है जो पहले से मौजूद स्वास्थ्य सलाह को सही साबित करती है। पोषण विज्ञान की सबसे स्थायी और गरमागरम बहसों में से एक आहार वसा की है। विशेष रूप से डेयरी उत्पादों से प्राप्त संतृप्त वसा अम्ल (एसएफए) पोषण संबंधी चर्चा के केंद्र में रहे हैं। हालांकि जन स्वास्थ्य सलाहें दशकों से कम वसा (या वसा रहित) डेयरी उत्पादों के सेवन का समर्थन करती रही हैं। आलोचक इन परंपराओं को चुनौती देने में साक्ष्यों के निरंतर अभाव का हवाला देते हैं।

जन स्वास्थ्य सलाहों को मिलती है पुष्टि

दूध
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जन स्वास्थ्य एजेंसियों का दावा है कि कम या वसा रहित डेयरी उत्पाद उपभोक्ताओं में हृदय रोग (सीवीडी) के जोखिम को कम करते हैं। यह सलाह निम्न-घनत्व लिपोप्रोटीन (एलडीएल/खराब) कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने पर एसएफए के ज्ञात प्रभाव पर आधारित है। हालांकि, पूर्ण-वसा वाले डेयरी उत्पादों को सीधे तौर पर प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों से जोडऩे वाले प्रमाण असंगत रहे हैं कुछ अध्ययनों में तो यह भी सुझाव दिया गया है कि डेयरी वसा अन्य स्रोतों से प्राप्त एसएफए की तुलना में कम हानिकारक हो सकती है। हृदय रोगों पर विभिन्न प्रकार के दूध के प्रभावों का स्पष्ट रूप से वर्णन करने के लिए प्रतिभागियों के एक बड़े समूह पर बड़े अध्ययन आवश्यक है। इन प्रभावों को समझने से इस बहस को सुलझाने और भविष्य की जन स्वास्थ्य नीति को विशेष रूप से आज के बढ़ते हृदय रोग के बोझ के संदर्भ मे, सूचित करने में मदद मिलेगी।

अध्ययन के बारे में

यह अध्ययन नॉर्वे की आबादी के अनूठे ऐतिहासिक संदर्भ का लाभ उठाता है। 1970 के दशक में देश में साबुत दूध की खपत का बोलबाला था लेकिन 1980 के दशक में इसकी जगह कम वसा वाले दूध ने ले ली। यह संदर्भ इन विभिन्न दूध विकल्पों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों की जांच के लिए एक शक्तिशाली प्राकृतिक प्रयोग प्रदान करता है। विशेष रूप से इस अध्ययन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य जांच सेवा द्वारा किए गए नॉर्वेजियन काउंटी अध्ययन के आंकड़ों का उपयोग किया गया। अध्ययन में तीन काउंटियों के लोगों को शामिल किया गया: फिऩमार्क, सोगन और फ्य़ोर्डेन, और ओपलैंड। आंकड़ों में 1974 और 1988 के बीच आयोजित तीन हृदय स्वास्थ्य जांच शामिल थीं जिनमें प्रत्येक चरण में उपस्थिति दर उच्च थी।

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