
नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) को चाइनीज कंपनी वीवो की जगह फैंटेसी गेमिंग फर्म ड्रीम-11 के तौर पर नया टाइटल स्पॉन्सर मिल गया है। हालांकि, इसको लेकर भी विवाद छिड़ गया है, क्योंकि ड्रीम-11 में भी चाइनीज और हांगकांग की कंपनी का पैसा लगा है। ऐसे में भारतीय कारोबारी संगठन कन्फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने नाराजगी जाहिर की है।
कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने ट्वीट किया कि आईपीएल के लिए वीवो कंपनी की जगह ड्रीम-11 के साथ स्पॉन्सरशिप का कॉन्ट्रैक्ट किया गया है, जबकि इस कंपनी में चीन की टेन्सेंट का पैसा लगा हुआ है। फिर भी भारत के साथ चीन के विवाद को नजरअंदाज करते हुए आईपीएल में पैसे के लिए चीनी निवेश वाली कंपनियों को चुना जा रहा है।
मोदी का आत्मनिर्भर सपना कमजोर होगा – कैब
हाल ही में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (कैब) के सेक्रेटरी आदित्य वर्मा ने कहा था कि ड्रीम-11 में भी चीनी कंपनी का पैसा लगा हुआ है। ऐसे में इस कंपनी को आईपीएल का टाइटल स्पॉन्सर बनाने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर अभियान कमजोर होगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि प्रशंसक होने के नाते मैं चाहता हूं कि आईपीएल कामयाब हो।
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वीवो कंपनी बोर्ड को सालाना 440 करोड़ रुपए देती थी
ड्रीम-11 कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर बीसीसीआई को 222 करोड़ रुपए देगी। 2021-22 की टाइटल स्पॉन्सर भी ड्रीम-11 होगी। इसके लिए कंपनी हर साल 240 करोड़ देगी। हाल ही में चीनी कंपनियों के विरोध के चलते बीसीसीआई ने वीवो से कॉन्ट्रैक्ट खत्म किया था। वीवो बोर्ड को सालाना 440 करोड़ रुपए देती थी।
ड्रीम-11 में चीनी कंपनी के 720 करोड़ रुपए
चीन की टेक कंपनी टेन्सेंट ने 2018 में ड्रीम-11 में 10 करोड़ डॉलर ( उस वक्त के हिसाब से 720 करोड़ रुपए या मौजूदा हिसाब से 746 करोड़़ रुपए) का निवेश किया था। चीनी नियंत्रण वाले हांगकांग की कंपनी स्टेडव्यू कैपिटल ने भी 2019 में 6 करोड़ डॉलर(448 करोड़ रुपए) निवेश किया था।