नेपाल में राजनीतिक संकट का समाधान निकट, सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने पर बनी सहमति

राजनीतिक संकट
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काठमांडू। नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ हुए आंदोलन से उपजे हालात ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को राजपाट छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। अब अंतरिम सरकार के गठन और संसद के विघटन पर माथामच्ची हो रही है। नेपाल में राजनीतिक संकट के बीच एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है। पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने पर सहमति बन गई है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिसमें प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और सेना प्रमुख शामिल थे। सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश रही हैं और उन्हें उनकी ईमानदारी और पारदर्शिता के लिए जाना जाता है।

हालांकि, संसद विघटन के मुद्दे पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। Gen Z आंदोलन के प्रतिनिधि संसद भंग करने की मांग कर रहे हैं, और अंतरिम सरकार की संरचना को लेकर भी कई मुद्दों पर मतभेद हैं। आज राष्ट्रपति भवन में फिर से उच्च स्तरीय बैठक होने वाली है, जहां आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। उम्मीद है कि सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई जा सकती है। यह घटनाक्रम नेपाल के राजनीतिक भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, और राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद बढ़ी है।

संविधान में पूर्व प्रधान न्यायाधीश के राजनीतिक या संवैधानिक नियुक्ति पर प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन आवश्यकता के सिद्धांत पर सुशीला को अंतरिम सरकार प्रमुख बनाने पर दलों ने अपनी सहमति दे दी है। राष्ट्रपति पौडेल प्रमुख दल के नेताओं से भी चर्चा कर रहे हैं। देररात राष्ट्रपति और प्रचंड के बीच टेलीफोन वार्ता हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल से भी राय मांगी गई। नेपाली कांग्रेस, यूएमएल और माओवादी संसद विघटन के खिलाफ अपनी राय दे रहे हैं।तीनों दलों ने कहा कि संसद विघटन मान्य नहीं है। सभी ने अलग-अलग वक्तव्य जारी कर संविधान के भीतर और संसद में ही नई सरकार के गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की मांग की है। हालांकि जेन जी प्रतिनिधि संसद विघटन को लेकर अभी भी अड़े हुए हैं।