सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। पहले मुख्य न्यायाधीश भी रह चुकी हैं। प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद संसद को भंग करने और 5 मार्च 2026 को आम चुनाव कराने की सिफारिश करना बहुत ही निर्णायक कदम है। संविधान के अनुच्छेद 61 के तहत नियुक्ति – यह राजनीतिक और संवैधानिक दृष्टि से एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि पिछली सभी सरकारें अनुच्छेद 76 के तहत बनती रही थीं।
युवाओं और जेन-ज़ेड आंदोलन का प्रभाव – यह सरकार युवाओं के आंदोलन के दबाव में बनी है, जो नेपाल की राजनीति में नई दिशा का संकेत देता है।
विपक्ष की नाराज़गी – सीपीएन (यूएमएल) और माओवादी पार्टी दोनों इस निर्णय की आलोचना कर रहे हैं, जिससे संकेत मिलता है कि आने वाले समय में राजनीतिक टकराव हो सकता है।
सार्वजनिक समर्थन – मेयर बालेन शाह जैसे लोकप्रिय नेताओं का युवाओं को बधाई देना और आंदोलन में मारे गए लोगों को शहीद कहना दिखाता है कि इस परिवर्तन को जनता के बड़े हिस्से का समर्थन मिला है।