अंतरराष्ट्रीय टेक्सटाइल एवं अपैरल फेयर के 7वें संस्करण ‘वस्त्र-2020’ का दूसरा दिन

  • राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डवलपमेंट एंड इनवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (रीको) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित
  • ऑस्ट्रेलिया इंडिया: इनसाइट्स इन्टू बिजनेस ऑपर्टूनिटीज पोस्ट कोविड’ पर वेबिनार
  • ऑस्ट्रेलिया में टेक्सटाइल बिजनेस बढ़ाने के लिए छोटे ऑर्डर, कस्टमर सर्विस और सस्टेनेबल फैशन प्रमुख पैरामीटर हैं

जयपुर। ऑस्ट्रेलिया एक बड़ा देश है, जिसकी आबादी केवल 26 मिलियन लोगों की है। यहां रीटेल स्पेस मेंटेन करना मुश्किल है, इसलिए यहां के 98 प्रतिशत व्यवसाय छोटे और सूक्ष्म पैमाने पर हैं। कोविड-19 के कारण यहां रीटेल में कमी आई है और इस प्रकार वे इंडियन सप्लायर्स जो कि सीमित मात्रा में उत्पादन कर सकते हैं और छोटे व्यवसाय चला सकते हैं, वे सफल होंगे। इसके अलावा, कस्टमर सर्विस अच्छे भविष्य की कुंजी है क्योंकि यह लिंकेज बनाए रखने में सहायक है। यह बात टीसीएफ, ऑस्ट्रेलिया की फाउंडर और सीईओ, कैरोल हैनलोन ने कही। वे अंतरराष्ट्रीय टेक्सटाइल एंड अपैरल फेयर के 7वें संस्करण ‘वस्त्र-2020’ के दूसरेे दिन गुरूवार को ‘ऑस्ट्रेलिया इंडिया: इनसाइट्स इन्टू बिजनेस ऑपर्टूनिटीज पोस्ट कोविड’ पर आयोजित वेबिनार में संबोधित कर रहीं थी। यह टेक्सटाइल फेयर राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डवलपमेंट एंड इनवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (रीको) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है।

कीर्रिकेन की फाउंडर और डायरेक्टर, अमांडा हिली ने कहा कि सस्टेनेबल, इको फ्रेंडली और नेचुरल फेब्रिक टेक्सटाइल इस समय की आवश्यकता है। यह ब्रांड की नैतिकता को भी दर्शाता है जो प्रोडक्ट खरीदते समय ऑस्ट्रेलिया में उपभोक्ताओं द्वारा ध्यान में रखा जाता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत में कारखानों में बाल श्रम का उपयोग करने की समस्या भी प्रचलित है जिसे सख्ती से हतोत्साहित करना चाहिए।

भारतीय कपड़ा उद्योग के प्रतिस्पर्धी लाभों के बारे में बात करते हुए, आइवी और इसाबेल की फाउंडर और डिजाइनर, गेर्री लुशी ने कहा कि भारतीय कपड़ा उद्योग की खासियत इसके अनूठे प्रिंट और एंब्रॉयडरी है। उन्होंने कहा कि सिल्क, बैम्बु और कॉटन जैसे नेचुरल फाइबर्स प्रचुर मात्रा में हैं और ये किफायती भी है। हालांकि, गुणवत्ता नियंत्रण, घटिया सिलाई जैसी चुनौतियां मौजूद हैं और इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

फाउंडर और डिजाइनर, डीड्डा, समिता भट्टाचार्जी ने कहा कि भारत का यूएसपी वेल्यू एडिशन है, असेम्बली लाइन प्रोडक्शन नहीं। इंडियन सप्लायर्स को भारत में उपलब्ध प्रचुर संसाधनों का बेहतरीन उपयोग करना चाहिए। ऑस्ट्रेलियाई बाजार पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में उपभोक्ता कानून बेहद सख्त हैं और बिना कोई प्रश्न किए रिटर्न पॉलिसी लागू है। इसलिए, घटिया उत्पाद नहीं बेचे जा सकते हैं।

सेशन का संचालन सोटेक्स नेटवर्क के फाउंडर और सीईओ, सोनिल जैन ने किया। सोटेक्स ऐप का उपयोग करके टेक्सटाइल व्यवसाय को कैसे डिजिटल बनाया जा सकता है, इस पर एक वीडियो भी दिखाया गया।