
जिसको अच्छी लगी, उन्हें लगी। जिनने लगाई, वो कब कहेंगे कि हमें अच्छी नही लगी-पर हमें तो तनिक भी नहीं जंची। एक परसेंट भी नही। वो भले ही इतरा रहे होंगे कि हमने ठुकाई करके ठीक किया मगर बुद्धिजीवी वर्ग को उनकी ये हरकत एकदम घटिया लगी। उनकी नजर में ऐसी ठुकाई ठीक नही है। आज इनने की-कल वो भी कर सकते हैं। ऐसा चलता रहा तो संस्था का नाम बदलने की नौबत आ सकती है। शहर की एक हथाई पर आज उसी के चर्चे हो रहे थे।
‘ऐसी ठुकाई ठीक नहीं ‘को लेकर दो धाराएं फूटती नजर आती है। इस को लेकर दो पक्ष खड़े हो सकते हैं। आजकल वैसे भी पक्ष-विपक्ष की परंपरा सी बन गई है। बुरे काम का विरोध करो तो समझ में आता है, अब तो बेहतर कार्य करने खामियाजा भी विरोध से भुगतना पड़ता है। सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना उचित नही, मगर सियासत में ऐसा करने का रिवाज चल पड़ा है।
राजनीति कहां नही होती। राजनीति सब जगह होती है। रूस और अमेरिका जैसे हस्ती देशों में दो धाराएं चलती है। एक इधर-दूसरी उधर मगर चुनावों के बाद दोनों का उद्धेश्य राष्ट्र सेवा। विरोध की राजनीति सिर्फ चुनावों तक। विरोध भी स्तरीय। जैसे ही चुनाव निपटे दोनों धाराएं एक। विरोध भी करना होगा तो तमीज से करेंगे और अपने यहां हर बात का विरोध। उलटे पांव का विरोध तो समझ में आता है, सीधे पांव का सियासी विरोध होता है तो दुख होता है, पर उनकी सेहत पे कुछ फरक नही पडऩा। उनके लिए क्या सिलाई-बुनाई और क्या रूलाई-ठुकाई।
ठुकाई की अपनी कायनात है। ठुकाई के अपने तौर-तरीके हैं। ठुकाई के अपने नियम-कायदे है। बाजवक्त सारे नियम धरे के धरे रह जाते हैं। ठुकाई का अपना बिणाव-सिणगार है। ठुकाई का अपना अंदाज है। ठुकाई का अपना मजा है। अगर हम यह कहें कि बिन ठुकाई सब सून तो भी गलत नहीं, पण हो कायदे की। अब तो खैर स्कूली बच्चों को डांटना भी गुनाह हो गया। हमारे टेम में माट्साब ने इतनी ठुकाई की कि आज भी याद है। उसी ठुकाई का परिणाम है कि आज हम ढंग के चार मिनखों के बीच बैठने के लायक हैं।
माट्साब आए दिन किसी ना किसी छोरे को कूटते थे। ऐसा करने में उन्हें मजा नही आता। हमारे ही लक्खण ऐसे थे कि रोज फोड़ंतरी मिलती। खासियत की बात ये कि हम घर जा के शिकायत भी नही कर पाते कि माट्साब ने हमें कूटा। ऐसा करते तो घरवालों की ठुकाई अलग। वो कहते-जरूर तुम ने कोई बदमाशी की होगी, तभी पिटे। आज हालात उलटे। अव्वल तो सर-मैडम बच्चों को हाथ भी नही लगा सकते। बाय द वे लगा भी लें और बच्चे घर जाकर कह दें तो घरवाले लडऩे स्कूल पहुंच जाते हैं। जबकि वो खुद अपने स्कूली समय में माट्साब की तड़ी का स्वाद चख चुके हैं।
बच्चा लोग आपस में भिड़कर एक-दूजे की ठुकाई करते रहे हैं। कई बार मोट्यार भी आपस में भिड़ जाते हैं। रास्ते में किसी से बोलचाल हो जाए तो हलके स्तर के लोग ठुकाई-पिटाई पे उतर जाते हैं। कई बार भाई-भाई में ठुकाई की नौबत आ जाती है। गंवार-नशेड़ी और हलकी मानसिकता के लोग अपनी पत्नी पर हाथ उठाने से बाज नहीं आते। सहकर्मियों में धां-धूं हो जाती है। करमचारी-अधिकारी भिड़ जाते हैं। मनचलों की ठुकाई होना नई बात नहीं। थानों-चौकियों में ठुकाई-सुड़ाई जरूरी। पांडु पुलिस भले ही मेरे योग्य कोई सेवा का रट्टा मारे। मगर उनकी सेवा डंडे से शुरू होकर लातों-घूंसों और बेल्ट पे थम्म होती है। वो चोर से यूं थोड़े ही ना कहते हैं कि-‘चोरजी..चोरजी.. आप ने चोरी की क्या..सही सही बता दो प्लीज..।
वहां बात-पूछाई बाद में पहले ठुकाई-सुड़ाई। कई लोग ठुकते-पिटते इतने ढीट हो जाते है कि कोई असर ही नही पड़ता। आप पड़ोसी को ही देख ल्यो। कितनी बार ठुका। कितनी बार पिटा। युद्ध में हारा। कृत्रिम युद्ध मे हारा। सर्जिकल स्ट्राइट में फोड़ी खाई। कारगिल में पटखनी खाई। इसके बावजूद वो अपनी कमीनी हरकतों से बाज नही आ रहा। इनके इतर लोहे की कुटाई। बरतनों की ठुकाई। धातु की पिटाई-ठुकाई। मगर हथाईबाज जिस ठुकाई की बात कर रहे हैं वो ठीक नही है। जोधपुर जैसे अपणायत के शहर में यह परंपरा ठीक नही है।
हुआ यूं कि जोधपुर दक्षिण नगर निगम की महापौर के चंैबर पर विपक्षी कांगरेसी पार्षदों ने ताला ठोक दिया। उनका आरोप था कि कुछ काम नही हो रहा है। जोधपुर में निगम के दो जोन हैं। उतर में कांग्रेस का बोर्ड और दक्षिण में भाजपा का। कांगरेसियों ने ताला ठोका तो भाजपाइयों ने तोड़ दिया। महापौर का आरोप है कि कांगरेस दबाव में राजनीति कर रही है। हमारा यह कहना कि काम तो उत्तर में भी नही हो रहा तो क्या भाजपा वाले वहां की मेयर के चैंबर में ताला ठोक दें? अरे भाई, तुम्हें जनता ने अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए चुना है। एक तरफ तुम्हारी सरकार अपनी दूसरी वर्षगांठ पर अपने द्वारा किए कामों का बखान कर रही है और तुम उन कामों में ताला ठुकाई जोड़ रहे हो। यह ठीक नही है। ताला ठोकना है तो बद्जुबानी पे ठोको। भ्रष्टाचारियों पे ठोको। रिश्वतखोरों पे ठोको। सिर्फ सियासत और हलकी वाहवाही के लिए ताला ठुकाई करना ठीक नही है।