
जयपुर। राजस्थान में प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर अभिभावकों को सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को बड़ा झटका लगा है। कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन क्लासेज के दौरान अभिभावकों ने फीस में रियायत की मांग की थी, इसपर राजस्थान हाईकोर्ट ने राहत देते हुये फीस में छूट दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब फीस का 100% भुगतान करना होगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभिभावकों को पूरे साल की फीस को चुकाने के लिये थोड़ी राहत भी दी है, यह फीस 6 किस्तों में चुकाई जा सकेगी। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर व जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने भारतीय विद्या भवन, एसएमएस व अन्य स्कूलों की अपील पर अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल, अनुरूप सिंघ की पैरवी में दिया।
6 किस्तों में दे सकेंगे पूरी फीस
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अब अभिभावकों को स्कूल की पूरी फीस चुकानी होगी। 5 मार्च से स्कूल अपनी फीस वसूल सकेंगे। हालांकि अभिभावकों को कोर्ट ने राहत प्रदान करते हुये फीस को 6 किस्तों में चुकाने की छूट भी दी है।
साल 2019-20 में तय फीस के हिसाब से देनी होगी फीस
कोर्ट के आदेशानुसार अब प्राइवेट स्कूल बढ़ी हुई फीस नहीं ले सकेंगे।5 मार्च 2021 से छात्रों से सत्र 2019-20 में तय फीस के हिसाब से ही वसूली हो सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक
पूर्व में महज ट्यूशन फीस का 70 फीसदी देना तय हुआ था लेकिन अब पूरी फीस चुकानी होगी। राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाते हुए, जिसमें निजी सीबीएसई स्कूलों को केवल 70% ट्यूशन फी लेने की अनुमति दी गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ऐसे स्कूलों को छात्रों से छह समान मासिक किस्तों में पूरी फीस लेने की अनुमति दी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अब अभिभावकों को वर्ष 2019-20 की तय फीस के हिसाब से अब अभिभावकों को पूरी फीस देनी होगी। अभिभावक 6 माह में किस्तों में फीस चुका सकते हैं। फीस की पहली किश्त 5 मार्च को देनी होगी।
स्कूल किसी भी बच्चे को फीस के अभाव में बेदखल नहीं कर सकता: अनुरूप सिंघी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अब अभिभावकों को वर्ष 2019-20 की तय फीस के हिसाब से कोरोना काल की पूरी फीस देनी होगी। अभिभावक 6 माह में किस्तों में फीस चुका सकते हैं। फीस की पहली किस्त 5 मार्च को देनी होगी। निजी स्कूलों की तरफ से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अनुरूप सिंघी ने बताया कि SC के आदेशानुसार कोई भी स्कूल किसी भी बच्चे को फीस के अभाव में बेदखल नहीं कर सकता और बोर्ड एग्जाम व अन्य फॉर्म भरने से भी नहीं रोकेगा।