होम्योपैथिक चिकित्सा विकास महासंघ द्वारा जिले के सभी जनप्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री के नाम लिखवाया गया पत्र

देश और प्रदेश में होम्योपैथी के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ राजस्थान में होम्योपैथिक चिकित्सकों ने संयुक्त रूप से आवाज उठानी शुरू करदी हैं। मुख्यमंत्री को पत्र लिखवाकर अपना विरोध दर्ज करवाया जा रहा है।

राजस्थान में भी सिर्फ आयुर्वेद को ही प्राथमिकता:- चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर आयुर्वेद को मिल रही प्राथमिकता पर सवाल खड़े किए हैं। वहीं बजट सत्र के दौरान 11 फरवरी को होम्योपैथी चिकित्सा विकास महासंघ जयपुर के तत्वावधान में विशाल होम्योपैथी सत्याग्रह रैली का भी आयोजन कर विरोध जताया गया। जिसमें लगभग एक हजार होम्योपैथी चिकित्सक एवं छात्र उपस्थित रहे। वहीं पूर्व राष्ट्रीय कोंग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान प्रदेश प्रभारी अजय माकन, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता प्रतिपक्ष एव पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पुनिया को ज्ञापन देकर होम्योपैथी के साथ न्याय करने की गुहार की गई। कहा गया कि जब केंद्र में आयुष मंत्रालय बनाकर सभी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को बराबर का दर्जा दिया गया है तो राजस्थान में सिर्फ आयुर्वेद को ही प्राथमिकता क्यों मिल रही है? होम्योपैथिक चिकित्सकों का आरोप है कि आयुर्वेद विभाग में निकलने वाली नियुक्तियों में 80% भर्ती आयुर्वेद चिकित्सकों तथा कंपाउंडर की ही होती है। आंकड़ों के हिसाब से अभी राज्य में आयुष चिकित्सक के कुल 5080 पद है जिनमें से 81.40% पदों पर आयुर्वेद का कब्जा है। होम्योपैथिक चिकित्सकों को इसमें से सिर्फ 296 ही पद मिले हुए हैं। और यूनानी को 308 पद दिए गए।

इसी संबंध में बाड़मेर जिले के होम्योपैथिक चिकित्सकों ने भी विधायक श्री मेवाराम जी जैन, जिलाप्रमुख महेंद्र चौधरी, सभापति दीपक माली, जिला कलेक्टर विश्राम मीणा, कोंग्रेस जिलाध्यक्ष फतेह खान, कोंग्रेस युवा नेता आज़ाद सिंह राठौर, बाड़मेर पूर्व जिला उप प्रमुख सोहनलाल चौधरी सहित जिले के सभी जनप्रितिनिधियों को मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखवाकर विरोध दर्ज करवाया। जिसमे मुख्य होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को ग्रामीणों तक पहुंचाना, प्रत्येक पंचायत स्तर पर स्थित पीएचसी सीएचसी एवं आयुर्वेदिक औषधियों में आयुर्वेदिक चिकित्सकों के साथ होम्योपैथिक चिकित्सकों के पद सृजित करने की गुहार की है। राजस्थान सरकार द्वारा होम्योपैथिक आयुर्वेद एवं यूनानी को मिलाकर आयुष विभाग को जरूर बनाया गया लेकिन सारे काम आयुर्वेद के नाम पर ही होते हैं रोजगार भी 80% आयुर्वेद चिकित्सकों को ही दिया जाता है। बताया गया कि हाल ही में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर कि 7000 से भी ज्यादा भर्तियों में भी आयुर्वेद को ही स्थान दिया गया परंतु होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सकों को वंचित रखा गया वहीं 480 आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती निकाली गई परंतु अभी तक होम्योपैथी और यूनानी की कोई भर्ती नहीं निकाली गई है। यह सरकार की मंशा खड़ा करता है।

विश्व में दूसरा स्थान रखने वाली होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति दुर्भाग्यवश ग्रामीणों से बहुत दूर है मानव सेवा के लिए बनी इस चिकित्सा पद्धति का आम जन तक पहुंचना बहुत आवश्यक है जिससे कि होम्योपैथी चिकित्सा सेवा सभी ग्रामीणों को मिल सके।

लोगों का रुझान होम्योपैथिक पर ज्यादा फिर सरकार विमुख क्यों:- अलबत्ता सेक्टर के लिहाज से राजस्थान में होम्योपैथिक ठीक अवस्था में है राज्य में होम्योपैथिक के 10 कॉलेज हैं और आयुर्वेद कॉलेज भी 10 है यूनानी के प्रदेश में 3 कॉलेज है। जहां छात्रों के रुझान का सवाल है तो होम्योपैथिक पढ़ने वाले छात्रों की संख्या आयुर्वेद से कहीं अधिक है यही हाल क्लिनिकल सेक्शन का है। आयुर्वेद औषधियों की ओपीडी और होम्योपैथिक क्लिनिक की ओपीडी का रिकॉर्ड देखें तो साफ पता चलता है कि होम्योपैथी में कई अधिक मरीज है फिर भी होम्योपैथिक के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार और सरकार की बेरुखी समझ से परे है।

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तीनों भारतीय पद्धतियों में भर्ती का अनुपात हो तय:- पत्र में मांग की है कि राज्य के प्रत्येक सीएचसी एवं पीएससी पर होम्योपैथिक चिकित्सकों की नियुक्ति की जाए। आदर्श पीएससी पर भी आयुर्वेद की अपेक्षा होम्योपैथिक चिकित्सक लगाया जाए। इसके अलावा केंद्र सरकार की तर्ज पर राजस्थान में आयुर्वेद विभाग को आयुष विभाग में तब्दील करके भर्ती में आयुर्वेद का 45 होम्योपैथिक का 45 और यूनानी का 10 परसेंट अनुपात निर्धारित किया जाए।