
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी ने तालिबान को नया जीवन दे दिया है। तालिबान ने बिना किसी बड़ी लड़ाई के 50 प्रतिशत से अधिक इलाके पर कब्जा कर लिया है। इनमें सात अहम बॉर्डर पॉइंट हैं, जहां पड़ोसी देशों के साथ हर रोज हजारों डॉलर का व्यापार होता है। ऐसे में तालिबान इन कारोबार से होने वाले सभी राजस्व वसूल रहा है।
तालिबान के नियंत्रण में स्पिन बोल्डक, इस्लाम किला, तोर गोंडी, शेर खान बंदर और ऐ खानम जैसे शहर हैं, जो पाक, ईरान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और चीन की सीमाओं पर हैं। इस बीच, इन इलाकों को छुड़ाने के लिए अफगानिस्तान और तालिबान के बीच भीषण लड़ाई चल रही है। अफगानिस्तान ने तालिबान से मोर्चा लेने के लिए उत्तर, उत्तरपूर्वी, मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों में स्थानीय कबीलों को संगठित करना शुरू कर दिया है, जिन्हें मिलिशिया या विद्रोही बलों के रूप में जाना जाता है।

इन इलाकों के विद्रोही बलों को सरकार सैन्य साजोसामान और पैसा उपलब्ध करा रही है। ईरान व तुर्कमेनिस्तान सीमा से सटे हेरात प्रांत में एक हफ्ते में खूनी संघर्ष चल रहा है। यहां तालिबानियों से मोर्चा ले रहे सरदार इस्माइल खान के प्रमुख कमांडर की मौत हो गई है। इस्माइल हेरात के पुरुषों और महिलाओं से लड़ाई में शामिल होने का आह्वान कर रहे हैं। वे कहते हैं कि अभी समय है, हम तालिबान को खदेड़ सकते हैं। बाद में सिर्फ पछताना ही पड़ेगा।
मोर्चे में शामिल शहरयार कहते हैं कि हम तालिबान को अपनी मिट्टी तबाह नहीं करने देंगे। हमें मस्जिद के इमाम ने धोखा दिया है। वो तालिबान से जा मिला और हमारे कई साथियों को जख्मी कर दिया है। मजार-ए-शरीफ में मिलिशिया कमांडर बताते हैं कि तालिबान आतंकी हैं। वे हम पर राज करना चाहते हैं। हम जान दे देंगे, पर ऐसा नहीं होनेे देंगे।