श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान लालकोठी ने मनाया 20 वां स्थापना दिवस

आत्म-शुक्ल-शिव प्रकाशोत्सव पर की सामायिक – साधना

श्रमण संघ के प्रथम पट्टधर आचार्य आत्माराम जी म.सा., प्रवर्तक श्री शुक्लचन्द्र जी म.सा. और वर्तमान चतुर्थ श्रमण संघ आचार्य ध्यानयोगी डॉ. शिवमुनि जी म.सा. का अस्सी वां प्रकाशोत्सव सामायिक – साधना से लालकोठी श्री संघ ने महासती सुनिधिजी, डॉ. सुप्रतिभा जी, शुभांगी जी के पावन सानिध्य में मनाया।

इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में महासती सुनिधिजी ने श्रमण संघ के तीनों महान गुरुओं के व्यक्तित्व और कृतित्व के सम्बंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। आज ही के दिन “श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान, लालकोठी, जयपुर” का बीसवां स्थापना दिवस पिचहत्तर साल से ज्यादा के श्रावक श्राविकाओं, प्रतिभाशाली छात्रों और विशिष्टजनों का सम्मान कर मनाया।

मंच संचालन करते हुए सहमंत्री अमित हीरावत ने बताया कि उत्कृष्ठ सेवा के लिये होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अखिल जैन, मानसा(पंजाब) के राजकुमार जैन, जोगेन्द्र पाल जैन, 75 साल व अधिक के वरिष्ठजन दिलीप कर्णावट(वरिष्ठ इंजीनियर), सुरेंद्रसिंह पामेचा, डॉ. रेणुका पामेचा, श्रीमती प्रेम बोहरा, श्रीचंद रांका, श्रीमती लक्ष्मी बेद, रेखा श्रीश्रीमाल व प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं में अमित सुकलेचा सीए, रितेष बुरड़ सीए, तनिषि जैन, परी जैन, भुवि जैन, अरनव चौधरी, कनिष्क चण्डालिया का सम्मान किया गया।

लालकोठी श्रीसंघ अध्यक्ष रत्नेशकुमार पोखरना ने संघ के बीस वर्षों की प्रगति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान स्थापना के समय प्रथम अध्यक्ष मदनलाल बोहरा, मन्त्री रत्नेशकुमार पोखरना व कोषाध्यक्ष कन्हैया लाल लोढ़ा थे, संस्थान ने दो स्थानकों का निर्माण सदस्यों व समाज के सहयोग से किया, संस्थान ने 11 पूर्णकालिक और 2 अर्ध चातुर्मास सम्पन्न कराये व 14 वां चातुर्मास वर्तमान में चल रहा है, संस्थान को तीन मुमुक्षुओं की दीक्षा का भी सुयोग मिला।

वर्तमान में संस्थान में एक होम्योपैथी चिकित्सालय, फिजियोथेरेपी सेंटर, भोजनशाला का सफलता पूर्वक संचालन किया जा रहा है। संस्थान में अतिथियों के ठहरने के लिए एसी कमरों की सुव्यवस्था है। संस्थान चिकित्सा शिविरों, योग शिविरों व जीव दया आदि के कार्य भी समय समय पर करता रहता है। संस्थान अध्यक्ष पोखरना ने अपनी उन्नीस साल से ज्यादा की सेवा के लिए समाज का आभार व्यक्त किया और इस सक्रिय सेवा काल के बाद अध्यक्ष पद से निवृत्ति चाही। धर्म सभा में भारी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थी।

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