एअर इंडिया और टाटा ग्रुप की डील को सरकार ने सिरे से नकारा, कहा-जब फैसला होगा तब बताया जाएगा

एअर इंडिया और टाटा गु्रप की डील को सरकार ने सिरे से नकार दिया है। सरकार ने एअर इंडिया को टाटा संस द्वारा खरीदने की रिपोर्ट को गलत बताया है। डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट (दीपम) ने सोशल मीडिया में कहा कि जो भी खबरें एअर इंडिया से संबंधित चल रही हैं, वे गलत हैं। जब भी इस बारे में कुछ फैसला होगा उसकी जानकारी दी जाएगी।

इससे पहले ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि टाटा संस के एअर इंडिया के खरीदने के प्रस्ताव को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। सरकार ने एअर इंडिया में पूरी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर बुलाया था। एअर इंडिया की दूसरी कंपनी एअर इंडिया सैट्स में सरकार इसी के साथ 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी।

एअर इंडिया के लिए जो कमेटी बनी है, उसमें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, कॉमर्स मंत्री पियूष गोयल और एविएशन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। सूत्रों के अनुसार, एअर इंडिया का रिजर्व प्राइस 15 से 20 हजार करोड़ रुपए तय किया गया था।

टाटा गु्रप ने स्पाइस जेट के चेयरमैन अजय सिंह से करीबन 3 हजार करोड़ रुपए ज्यादा की बोली लगाई थी। इस तरह करीब 68 साल बाद एअर इंडिया घर वापसी कर गई है। एअर इंडिया के लिए बोली लगाने की आखिरी तारीख 15 सितंबर थी। उसके बाद से ही यह अनुमान था कि टाटा गु्रप एअर इंडिया को खरीद सकता है।

एअर इंडिया को 1932 में टाटा गु्रप ने ही शुरू किया था। टाटा समूह के जे.आर.डी. टाटा इसके फाउंडर थे। वे खुद पायलट थे। तब इसका नाम टाटा एअर सर्विस रखा गया। 1938 तक कंपनी ने अपनी घरेलू उड़ानें शुरू कर दी थीं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसे सरकारी कंपनी बना दिया गया। आजादी के बाद सरकार ने इसमें 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी।

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