फलों से प्राथमिक उपचार

आयुर्वेद मतानुसार फलों से विभिन्न रोगों में प्राथमिक उपचार से लाभ होता है

अनार-शरीर की जलन, बुखार, प्यास, हृदय रोग, गले की बीमारियां और मुख की सूजन में इसका पक्का फल उपयोगी हैं।
यह बल वद्र्धक होता है। खट्टा अनार पित्त कारक, वात और कफ नाशक होता हैं। इसके फल का छिलका कृमिनाशक, रक्तातिसार और खांसी में लाभदायक हैं। सूखी खांसी में अनार का सुखा छिलका चूसने से अत्यधिक आराम मिलता है। मीठा अनार खून बढ़ाने वाला, यकृत को शांति प्रदान करने वाला, पेट को मुलायम करने वाला तथा कामेन्द्रियां को बल प्रदान करने वाला हैं। इसका पक्का फ ल पौष्टिक और त्रिदोश का नाश करने वाला हैं।

अमरूद – खाने के पहले नियमित रूप से एक अमरूद खाने से कब्ज की शिकायत नहीं रहती है।

जुकाम में दो तीन दिन तक केवल अमरूद खाने से जुकाम में फायदा होता है। भांग के नशे के व्यक्ति को अमरूद खिलाने से नशा कम हो जाता है। कच्चे अमरूद में विटामीन ‘सी’ अधिक मात्रा में होता है। दांतों और मसूड़ों के रोगों, जोड़ों के दर्द स्कर्वी रक्त स्त्राव, आदि रोगों में विटामिन ‘सी’ बहुत उपयोगी है।

अमरूद मलेरिया, बवासीर, पागलपन आधा शीशी, शरीर व हाथ पैर में दाह, जलन कृमि आदि रोगों में लाभ पहुंचाता हैं। वायु की शिकायत में अमरूद पर सैंधा नमक लगा कर नियमित खाने से लाभ होता है। भोजन के पहले खाया गया अमरूद अतिसार में लाभप्रद होता है। भोजन के पश्चात् अमरूद खाए जाने से पाचन क्रिया ठीक होती है। अमरूद के छिलकों में भी अधिक मात्रा में विटामिन ‘सी’ पाया जाता है। अत: अमरूद का प्रयोग छिलकों सहित गुणकारी है। यह बच्चों के लिए भी काफ ी पौष्टिक है व संतुलित आहार हैं। अमरूद से स्नायु मंडल, पाचन संस्थान, हृदय तथा दिमाग को बल मिलता हैं।

नोट – शाम को व रात के समय अमरूद का सेवन नहीं करना चाहिए। सेव- यह एक पौश्टिक फ ल है, शक्तिवद्र्धक भी हैं। सेव में विटामिन ‘ए’ एवं ‘सी’ के साथ खनिज भरपूर मात्रा में होता हैं। इसके सेवन से अम्ल की मात्रा भी बढ़ती है। दिल की धडक़न एवं कमजोरी ठीक होती है।
सूखी खांसी में भी लाभकारी हैं। सेव मूत्र वद्र्धक है, गुर्दों को भी राहत देती है। पुराने सिरदर्द में हितकारी हैं।
कब्ज और अतिसार दोनों में फ़ायदेमंद है। सेव से उदर कृमि में जल्दी छुटकारा मिलता है। गुर्दे की पथरी में लाभदायक है। दांत के रोगों में भी सेव प्राकृतिक दंत रक्षक है। सेव से पोटेशियम एवं फासफोरस अधिक होता है। इसके सेवन से हृदय रोग से बचाव होता है।
यह गरमी और खुश्की दूर करता है।
जामुन- जामुन की गुठली चिकित्सा की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी हैं। जामुन का उपयोग दस्त लगने पर भी किया जाता है। जामुन के सेवन से पीलिया रोग में फ़ायदा होता है। इसका सेवन करने से प्यास की शिकायत दूर होती है। जामुन खाने से चेहरे पर निकलने वाली फुंसिया और मुंह से आदि को दूर किया जा सकता है। जामुन का नियमित सेवन से दांतों व मसूड़ों की बीमारी में फ़ायदा होता हेै। जामुन का सिरका भी बहुत उपयोगी होता है।
संतरा- संतरा भी एक उपयोगी फल है। संतरे में विटामिन ‘सी’ विशेश मात्रा में पाया जाता हैं इसके सेवन से संक्रामक रोग सहसा नहीं हो पाते।
इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता शक्ति बढ़ती है।
संतरा हृदय रोग, बाल विकारो, उदर के दोशों को दूर करने में विशेश रूप से उपयोगी है।
क्षय आदि छाती के विकारों में भी लाभदायक है।
भोजन के बाद संतरे का सेवन करना लाभदायक है।
संतरे के रस में काला नमक व सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से अजीर्ण की शिकायत दूर हो जाती है। यह अतिसार, वमन तथा अपच आदि रोगों को दूर करता है। संतरे के रस में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर लेने से आंखों से कम दिखाने देने वाला दोश दूर होता है।
पपीता- पपीता अरूचि को दूर करता है। भूख बढ़ाने में सहायक, यह कब्ज को दूर करता है तथा वात एवं कफ प्रधान व्यक्तियों के लिए लाभकारी है।
गरिश्ट पदार्थों को पचाने में सहायक है। पपीता का पाचन संस्थान के लिए बड़ा उपयोगी है। यह यकृत व वृक्क की कार्यशीलता को बढ़ाता है।
मूत्र वाहक शरीर के सप्त धातुओं की रक्षा करता है।
बनिया बाड़ा, जोधपुर (फोन: 2441990)