
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में लगातार तेज हो रही घटनाओं के बीच म्यांमार को लेकर अमेरिका और उसके सहयोगी देशों का मतभेद फिर सामने आया है। अमेरिका ने बीते एक हफ्ते के दौरान इस क्षेत्र में ऑकुस (ऑस्ट्रेलिया- यूनाइटेड किंगडम- यूनाइटेड स्टेट्स) करार के तहत ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी देने का समझौता किया, वहीं उसने जापान और दक्षिण कोरिया को आपसी मतभेद बुला कर हाथ मिला लेने के लिए प्रेरित किया है। इस घटनाक्रम को म्यांमार में गहरी दिलचस्पी के साथ देखा जा रहा है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय में नीति संबंधी एक वरिष्ठ सलाहकार की टिप्पणी पर यहां कूटनीति विशेषज्ञों का ध्यान गया है। परामर्शदाता डेरेक चॉलेट ने ‘उम्मीद जताईÓ है कि जापान और इंडो-पैसिफिक में अमेरिका के अन्य सहयोगी देश म्यांमार के विपक्षी समूहों से संपर्क बनाएंगे और ‘उनकी अपेक्षाओंÓ को सुनेंगे। एक फरवरी 2021 को म्यांमार में सैनिक तख्ता पलट होने के बाद अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने कड़ा अपनाया था। उन्होंने म्यांमार के सैनिक शासन के खिलाफ प्रतिबंध भी लगाए। लेकिन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों का रुख अपेक्षाकृत नरम रहा है। दस दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान ने तो म्यांमार की मौजूदा सरकार से संपर्क बनाए रखा है।
हमारा शक अब गहरा रहा है
अमेरिकी विदेश मंत्रालय में सलाहकार चॉलेट ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम को दिए एक इंटरव्यू में कहा है- ‘हमें पूरी उम्मीद है कि न सिर्फ दक्षिण-पूर्व एशिया में मौजूद हमारे साथी, बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक के हमारे पार्टनर म्यांमार के लोकतंत्र समर्थक विपक्ष से संपर्क बनाएंगे।Ó चॉलेट को उप विदेश मंत्री का दर्जा मिला हुआ है और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन को वे कई अहम मुद्दों पर अपनी सलाह देते हैं। चॉलेट ने कहा- ‘सैनिक शासन से संपर्क रख कर कुछ हासिल होगा, इस पर हमारा शक अब गहरा गया है।Ó
चॉलेट की इस टिप्पणी को महत्त्वपूर्ण माना गया है। इसका यह अर्थ समझा गया है कि अमेरिका अपने साथी देशों पर म्यांमार की मौजूदा सरकार के प्रति अधिक सख्त रुख अपनाने के लिए दबाव डालेगा। जबकि अब तक न सिर्फ आसियान के देश, बल्कि भारत जैसे महत्त्वपूर्ण देश ने भी सैनिक शासन के साथ अपना संपर्क कायम रखा है।
इस बीच अमेरिका ने म्यांमार के विपक्षी गुटों की तरफ से बनाई गई नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी) के प्रति अपने समर्थन का एक बार फिर इजहार किया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि उसके एक वरिष्ठ अधिकारी की एनयूजी प्रतिनिधियों के साथ बैठक हो चुकी है। चॉलेट ने कहा- अमेरिका ने लोकतंत्र समर्थक विपक्ष के साथ काम करने में अपनी ताकत लगाई है। उन्होंने कहा- इस मामले में अमेरिका मिसाल कायम करते नेतृत्व देने की कोशिश कर रहा है।
अमेरिका ने 2022 में आसियान के साथ अपने संबंध का दर्जा बढ़ा कर इसे कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप घोषित किया था। इसके तहत अब उसकी कोशिश म्यांमार को अलग कर बाकी आसियान देशों से संबंध गहरा बनाने की है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक म्यांमार को अलग-थलग करने की पश्चिमी कोशिश का लाभ चीन और रूस ने उठाया है। दोनों ने म्यांमार के सैनिक शासन से संबंध मजबूत किए हैं। इसीलिए इंडो-पैसिफिक के देश म्यांमार से पूरी तरह नाता तोडऩे के पक्ष में नहीं हैं।
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