सही मंत्र जाप से जल्द पूरी होंगी मनोकामनाएं

मंत्र जाप करने की विधि
मंत्र जाप करने की विधि

अशुद्ध मंत्र पढऩा पड़ सकता है जीवन पर भारी

माला जाप करते समय इस बात की सावधानी रखनी होती है कि जहां माला समाप्त हो वहीं से वापस फिर से गिना जाता है. इसी तरह ये क्रम चलता रहता है जहां माला समाप्त होती है वहां एक पुष्प की भांति गुहा होता है उसे सुमेरु कहते हैं. इसके पीछे यह मान्यता है कि जब समुद्र मंथन में सुमेरु पर्वत मथानी के रूप में थे. उनके एक तरफ देवता और दूसरी तरफ असुर थे. मान्यता यह है कि अगर सुमेरु को लांघते हैं तो आप असुर के तरफ चले जाएंगे. असुर नकारात्मक ऊर्जा युक्त हैं इसलिए सुमेरु को लांघा नही जाता है. वहां पहुंच कर वापस हो जाया करता है. इसका उल्लंघन करने से जाप का फल नहीं मिलता है.

दोपहर को करें मंत्र जाप

मंत्र जाप करने की विधि
मंत्र जाप करने की विधि

तंत्र-मंत्र जानकारों का कहना है कि किसी विशेष फल की प्राप्ति हेतु मंत्र जप दोपहर के समय करना चाहिए। वहीं, शांति कर्म के लिए संध्याकाल से पूर्व मंत्र जप करना चाहिए। जबकि, मारण कर्ण के लिए संध्याकाल का समय सही होता है। मंत्र जप करने से पहले संकल्प अवश्य लें। इसके पश्चात ही मंत्र जप करें। इससे सिद्धि प्राप्ति होती है। मंत्र जप के साथ पूजा भी अनिवार्य है। इसके लिए रोजाना ईश्वर की पूजा और आरती करें। इष्टदेव की पूजा के बाद ही मंत्र जप करें।

मंत्र करते समय इन बातों का रखें ख्याल

मंत्र जप करते समय अपने मन और मस्तिष्क को एकाग्र रखें। मंत्र जाप के समय छींकना, पैर फैलाकर आसन ग्रहण करना, क्रोध करना और झपकी लेने की मनाही है। आसान शब्दों में कहें तो इन चीजों से परहेज करें। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है।

शंख माला से करें जाप

ज्योतिषियों की मानें तो शंख माला से जप करने से सौ गुना फल मिलता है। इसी प्रकार मूंगे की माला, स्फटिक की माला, मोती की माला, कमल गट्टे की माला, कुशा मूल और रुद्राक्ष की माला (बढ़ते क्रम में) से जप करने पर अनन्त गुना फल मिलता है। वहीं, मंत्र जप के लिए गुरु पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र शुभ माने जाते हैं। जबकि, माघ, फाल्गुन, चैत्र, बैशाख, श्रावण और भाद्रपद महीने में मंत्र जप सिद्धिदायक होते हैं।

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