महात्मा गांधी अस्पताल में मृत्यु विषय पर चिकित्सकों की परिचर्चा

मृत्यु
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जयपुर। महात्मा गॉंधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में शनिवार को ’लेट्स टॅाक अबाउट डैथ‘ विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए एम्स नई दिल्ली की एनेस्थीसिया, पेन मैनेजमेंट तथा पैलिएटिव केयर विभागाध्यक्ष डॉ सुषमा भटनागर ने कहा कि मृत्यु अंतिम सत्य है। फिर भी मौत के नाम से सभी को डर लगता है। चाहे वो मरीज हो या फिर परिजन। यहॉं तक कि चिकित्सकों को भी रोगी की संभावित मृत्यु के बारे में परिजनों को जानकारी देने में हिचकिचाहट होती है।

इंटरवेंशनल प्रोसिजर्स के जरिए भी दर्द में भी राहत देते हैं

इंटरवेंशनल प्रोसिजर्स के जरिए भी दर्द में भी राहत देते हैं
इंटरवेंशनल प्रोसिजर्स के जरिए भी दर्द में भी राहत देते हैं

अधिकांशत: ऐसा इसलिए होता है कि सभी का प्रयास यह रहता है कि बीमारी को हराया जाये, कुछ समय तक और इंतजार किया जाये। किन्तु जब दवाएं तथा उपचार बेअसर हो जाये और यह समझ में आ जाये कि अंतिम समय नजदीक है। ऐसी स्थिति में यह रोगी का अधिकार होता है कि उसे शांतिपूर्वक अंतिम सांस लेने का अवसर दिया जाये। इसके लिए उन्हें पैलिएटिव केयर उपलब्ध कराई जाये जिससे उन्हें दर्द से राहत दी जा सके। आजकल इस तरह की संभाल के जरिये रोगियों को इंटरवेंशनल प्रोसिजर्स के जरिए भी दर्द में भी राहत दी जाती है। उन्हें खर्चीले तथा जटिल उपचार से भी बचाया जा सकता है साथ ही जरूरतमंद रोगियों के लिए गहन चिकित्सा इकाई के बैड्स भी खाली किये जा सकते हैं। उन्होंने ऐसे रोगियों के परिजनों से अंगदान कराने की भी अपील की। उन्होंने अस्पतालों में इस विषय पर डॉक्टर्स तथा नर्सिंगकर्मियों के लिए विशेष प्रशिक्षण को आवश्यक बताया।

कानूनी अनुमति की जानकारी दी

कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सृष्टि जैन ने बताया कि कार्यक्रम में डॉ. अंजुम जोड ने राइट टू डाइ विद डिग्निटी’ के बारे में भी चर्चा करते हुए कानूनी अनुमति के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महात्मा गांधी मेडिकल यूनिवर्सिटी के एमेरिटस चेयरपर्सन डॉ एम एल स्वर्णकार ने कहा कि हमारे जीवन दर्शन में पुरातन काल से ही यह विषय महत्वपूर्ण रहा है कि जब जीवन का अंतिम समय हो तो किसी प्रकार का रोग ना रहे। उन्होंने प्रसिद्ध भजन ‘इतना तो करना स्वामी, प्राण तन से निकले…जब कंठ प्राण आये कोई रोग ना सताये का उदाहरण भी दिया। इस अवसर पर प्रो-प्रेसीडेंट डॉ. विनय कपूर, सुपरिंटेंडेंट डॉ. आर सी गुप्ता, डॉ. सुधा सरना, डॉ. अष्विन माथुर, डॉ. सीमा खण्डेलवाल, डॉ आशीष जैन, डॉ. राजगोविन्द शर्मा, डॉ. प्रिया मारवाह, डॉ. निपुण लाम्बा, डॉ. मुकेश सरना सहित बडी संख्या में चिकित्सकों ने हिस्सा लिया।

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