बरसात में रहे साफ-सुथरे, बढ़ जाता है फंगल इन्फेक्शन का खतरा

फंगल इन्फेक्शन
फंगल इन्फेक्शन

चिलचिलाती गर्मी के बाद बारिश सुकून तो लेकर आती है लेकिन साथ में लाती है ढेर सारी बीमारियां और इन्फेक्शन का खतरा। यह तो हम सभी जानते हैं कि बारिश के मौसम में फंगल इन्फेक्शन का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। बारिश में भीगने की वजह से या फिर काफी देर तक पानी में रहने की वजह से फंगल इन्फेक्शन आपके शरीर में जगह बना लेते हैं। कई बार तो यह इन्फेक्शन काफी तकलीफ देह और दर्दनाक होते हैं जो किसी को भी अनकंफरटेबल महसूस करा सकते हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि बारिश के दिनों में खुद को इंफेक्शन से और फंगल बीमारियों से बचा कर रखें। आज हम आपको बताएंगे वो टिप्स जो आपको बारिश में फंगल इन्फेक्शन से बचाने में मदद करेंगे।

एथलीट फुट (टीनिया पेडिस)

एथलीट फुट (टीनिया पेडिस)
एथलीट फुट (टीनिया पेडिस)

यह एक आम फंगल इन्फेक्शन है, जो पैरों की त्वचा को प्रभावित करता है, खासकर पैर की उंगलियों के बीच। यह गर्म और नम वातावरण में पनपता है।

रिंगवॉर्म (टीनिया कॉर्पोरिस)

रिंगवॉर्म (टीनिया कॉर्पोरिस)
रिंगवॉर्म (टीनिया कॉर्पोरिस)

रिंगवॉर्म यानी दाद फंगस के कारण होने वाला स्किन इन्फेक्शन है। इससे त्वचा पर गोलाकार और लाल धब्बे हो जाते हैं, जिनमें अक्सर खुजली होती है। यह शरीर के विभिन्न अंगों पर हो सकते हैं। यह संक्रमित त्वचा के संपर्क में आने से फैल सकता है।

जॉक इच (टीनिया क्रूरिस)

यह फंगल संक्रमण कमर के क्षेत्र, भीतरी जांघों और हिप्स को प्रभावित करता है, जिससे खुजली, लालिमा और दाने हो जाते हैं।

नेल फंगस (ओनिकोमाइकोसिस)

नाखूनों में फंगल संक्रमण होना नेल फंगस कहलाता है। यह आमतौर पर पैर की उंगलियों में होता है और यह नाखूनों के मोटा होने, रंग खराब होने और टूटने का कारण बन सकता है।

कैंडिडिआसिस

कैंडिडिआसिस कैंडिडा फंगस के कारण होता है और शरीर के विभिन्न हिस्सों को जैसे मुंह (ओरल थ्रश), जननांग क्षेत्र (महिलाओं में योनि में यीस्ट संक्रमण) और त्वचा की परतों को प्रभावित कर सकता है।

एस्परगिलोसिस

यह फंगल संक्रमण एस्परगिलस मोल्ड के कारण होता है और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली या श्वसन स्थितियों वाले व्यक्तियों के लिए खासतौर पर चिंताजनक हो सकता है। यह साइनस और फेफड़ों को प्रभावित कर गंभीर संक्रमण पैदा कर सकता है।

फंगल केराटाइटिस

यह एक गंभीर फंगल संक्रमण है, जो आंख के कॉर्निया को प्रभावित करता है और अगर तुरंत इलाज न किया जाए तो विजन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

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