रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग के दर्शनों का सावन में ज्यादा बढ़ जाता है महत्व

सावन माह में शुभ है रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के दर्शन
सावन माह में शुभ है रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के दर्शन

भगवान शिव को समर्पित रामेश्वरम् हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। रामेश्वरम चार धामों में से एक धाम और भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक पवित्र तीर्थ स्थान है। यह तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ एक खूबसूरत आइलैंड है। जिसका आकार एक सुंदर शंख की तरह नजर आता है। रामेश्वर का अर्थ होता है भगवान राम और इसलिए इस स्थान का नाम भगवान राम के नाम पर रामेश्वरम रखा गया है। रामेश्वर शिवलिंग को सीता माता ने खुद अपने हाथों से बनाया था। भगवान राम ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। हर साल इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु माता सीता जी के द्वारा बनाए गए रामेश्वर शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं। सावन माह में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। यहां का प्रसिद्ध रामनाथस्वामी मंदिर दशरथनंदन भगवान श्री राम को समर्पित है। रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग में गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। इसके लिए विशेष तौर पर उत्तराखंड से गंगाजल यहां लाया जाता है। आइए जानते हैं और क्या खास है इस मंदिर में।

145 खम्भों पर टिका है मंदिर

145 खम्भों पर टिका है मंदिर
145 खम्भों पर टिका है मंदिर

रामेश्वरम मंदिर जाने के लिए कंक्रीट के 145 खम्भों पर टिका करीब सौ साल पुराना पुल है। जिससे होकर श्रद्धालु गुजरते हैं। समुद्र के बीच से निकलती ट्रेन का तो नजारा ऐसा खूबसूरत है जिसका एहसास आपको यहां जाकर ही होगा। वैसे इस पुल के अलावा सडक़ मार्ग से भी यहां पहुंचा जा सकता है। रामेश्वरम मंदिर का गलियारा दुनिया का सबसे बड़ा गलियारा है।

चमत्कारिक गुणों से भरा है यहां का पानी

चमत्कारिक गुणों से भरा है यहां का पानी
चमत्कारिक गुणों से भरा है यहां का पानी

रामनाथ स्वामी मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां स्थित अग्नि तीर्थम में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। इस तीर्थम से निकलने वाले पानी को चमत्कारिक गुणों से भरपूर माना जाता है। जिसमें डुबकी लगाने से सारे दुख दूर हो जाते हैं और बीमारियां भी दूर होती हैं। इस मंदिर के परिसर में 22 कुंड है जिसमें श्रद्धालु पूजा-अराधना से पहले स्नान करते हैं।

किसने की थी रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ब्राह्मण कुल से था। इसलिए, श्रीराम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। जिसके पश्चाताप के लिए ऋषियों ने भगवान राम को शिवलिंग स्थापित करके अभिषेक करने का सलाह दी थी। इसी के चलते प्रभू श्रीराम ने दक्षिणी तट पर रेत से शिवलिंग बनाकर उसका अभिषेक किया था। एक दूसरी मान्यता ये भी है कि लंका से वापस आते वक्त भगवान राम दक्षिण भारत के समुद्र तट पर रुके थे। ब्रह्म हत्या के पाप को मिटाने के लिए उन्होंने हनुमान जी को पर्वत से शिवलिंग लाने के लिए कहा था। बजरंगबली को आने में देरी हुई तो माता सीता ने दक्षिण तट पर रेत से शिवलिंग बना दिया, जो रामनाथ कहलाए, इसे रामलिंग भी कहा जाता है। वहीं हनुमान जी द्वारा लाए शिवलिंग का नाम वैश्वलिंग रखा गया। तभी से इन दोनों शिवलिंग की पूजा की जाती है। इसी वजह से रामेश्वरम को रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है।

कैसे पहुंचे रामेश्वरम?

रामेश्वरम के लिए निकटतम एयरपोर्ट मदुरई में है, जो शहर से लगभग 149 किलोमीटर दूर है। तूतीकोरिन एयरपोर्ट भी 142 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट के बाहर से बस, कैब और टैक्सी लेकर रामेश्वरम पहुंचा जा सकता है। भारत के सभी प्रमुख शहरों से रामेश्वरम जाने के लिए सीधी ट्रेनें अवेलेबल हैं। वैसे मदुरई से भी रामेश्वरम के लिए ट्रेन ले सकते हैं। देश के अलग-अलग शहरों से रामेश्वरम सडक़ से अच्छी तरह से कनेक्टेड हैं। मदुरइ से और अन्य शहरों से रामेश्वरम के लिए एसी और नॉन एसी बसें चलती हैं।

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