
जब भी गर्भधारण की बात आती है, तो अक्सर महिलाओं की प्रजनन स्वास्थ्य पर बात की जाती है, जबकि महिलाओं की तरह पुरुषों का प्रजनन स्वास्थ्य भी उतना ही जरूरी है। यही वजह है पुरुषों की प्रजनन स्वास्थ्य पर भी समान ध्यान देने की आवश्यकता है। हाल ही में हुई एक स्टडी बताती है कि पिछले चार दशकों में भारत सहित दुनिया भर में शुक्राणुओं की संख्या में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। प्रजनन स्वास्थ्य किसी भी व्यक्ति के पूरे स्वास्थ्य के बारे में बताता है। जिसमें सपर्म काउंड भी शामिल है, इसकी कमी आने से क्रॉनिक बीमारियों के साथ जीवन भी कम हो सकता है।
अपने आसपास के वातावरण को बेहतर बनाएं
पिछले कुछ सालों में प्लास्टिक के अधिक उपयोग, प्रदूषण, कार्बन उत्सर्जन और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से हमारे वातावरण काफी नुकसान पहुंचा है। जिसका सीधा असर हमारी सेहत पर भी पड़ता है। यही वजह है कि पिछले कुछ दशकों में कैंसर, क्रॉनिक बीमारियां के साथ प्रजनन क्षमता में भी कमी आई है। वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे पूरा स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, जिसमें हमारी प्रजनन क्षमता भी शामिल है। अपनी प्रजनन क्षमता में सुधार करने के लिए आपको जीवन से ऐसी चीजों को दूर करना चाहिए जो प्रदूषण का कारण बनती हैं। इसमें प्लास्टिक का उपयोग कम करने से लेकर, आर्टीफिशयल स्वीटनर , आर्टीफिशयल फ्लेवर्स और फूड प्रिज़र्वेटिव के इस्तेमाल से भी बचें, क्योंकि यह स्पर्म काउंट और क्वालिटी को खराब कम करने का काम करते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का उपयोग कम करें
इस डिजिटल दुनिया में मोबाइल, टैब, लैपटॉप का इस्तेमाल आम है। इनके इस्तेमाल के बिना अब कुछ कर पाना नामुमकिन लगता है, हालांकि, यह भी हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं, इसलिए इन्हें जब हो सके खुद से दूर रखें। हाल ही में हुई एक स्टडी की मानें तो पैंट की जेब में रखे सेलफोन से निकलने वाले वाई-फाई सिग्नल शुक्राणु की गतिशीलता और गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
ज्यादा उम्र में बच्चे की प्लानिंग करना

आजकल की कॉम्पीटिशन से भरी लाइफ में ज्यादातर कपल्स अपने करियर और प्रोफेशन को अपनी निजी जिंदगी से ज्यादा अहमियत देते हैं। जिसकी वजह से 30 की उम्र के बाद बच्चों की प्लानिंग करते हैं। विज्ञान के अनुसार, उम्र के साथ स्पर्म की गुणवत्ता कम होती जाती है और प्रेग्नेंसी मुश्किल हो जाती है। बेहद कम पुरुष इस बारे में जानकारी रखते हैं। महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए गर्भधारण की उम्र 30 वर्ष से कम है और इसे 35 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। इस उम्र के बाद कॉम्प्लीकेशन्स बढ़ जाते हैं।
स्मोक करना या शराब पीना

सिग्रेट पीना, रोजाना शराब पीना या तंबाकू आदि का इस्तेमाल भी शुक्राणु की गतिशीलता और गुणवत्ता पर प्रभाव डालते हैं। वृषण ऊतक विषाक्त पदार्थों के संचरण के प्रति बहुत संवेदनशील होता है और इन टॉक्सिक पदार्थों के लगातार संपर्क में आने से शुक्राणु उत्पादन को भारी नुकसान पहुंचता है। ये हानिकारक पदार्थ उत्परिवर्तन भी पैदा करते हैं, जिससे भ्रूण में दिक्कतें पैदा हो सकती हैं और जन्म के समय बच्चे में डिफेक्ट्स भी हो सकते हैं। पुरुषों को फर्टिलिटी में सुधार करने के लिए इस तरह की टॉक्सिक चीजों को अपने जीवन से फौरन निकाल देना चाहिए।
स्वस्थ्य लाइफ स्टाइल रखें
कोविड-19 महामारी के बाद से नौजवानों में डायबिटीज, हाइपरटेंशन और मोटापा जैसी गंभीर बीमारियां होना आम हो गया है। महामारी के बाद से अभी भी काफी लोग घर से काम कर रहे हैं, फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई है, जंक फूड का सेवन बढ़ गया है और लोग अपने घरों तक सिमट कर रह गए हैं। जिसकी वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है और पुरुषों में फर्लिटी को लोकर दिक्कतें भी बढ़ी हैं। इसके अलावा नींद की कमी या फिर गलत समय पर सोने और जागने का असर भी प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। तनाव को जीवन से दूर करने के लिए रोजाना एक्सरसाइज, ध्यान करें, हेल्दी खाने की आदत डालें और अपनी नींद से जुड़ी आदत में भी सुधार करें। पुरुष और महिलाओं दोनों को ही अपनी प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए लाइफस्टाइल में सुधार करना चाहिए और एक्टिविटी के स्तर को बढ़ाना चाहिए।