राजस्थान के वर्कफोर्स में अधिक महिलाओं की आवश्यकता : संजीव कृशन
जयपुर। वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है। यदि महिलाएं सक्रिय रूप से भाग लें, तो राज्य की ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) तेजी से बढ़ सकती है। यह सुझाव भारत में पीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन, संजीव कृशन ने आज कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के एनुअल डे के अवसर पर मेकिंग राजस्थान ए यूएस डॉलर 350 बिलियन इकोनॉमी बाय 2030 विषय पर आयोजित कॉन्फ्रेंस में दी। कॉन्फ्रेंस में संबोधित करते हुए, उन्होंने जो अन्य सुझाव दिए वे खनिज उद्योगों के लिए अपस्ट्रीमिंग और मूल्य संवर्धन की आवश्यकता पर थे, जो राजस्थान में जीडीपी और फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) को और बढ़ाएंगे। उन्होंने अधिक ईवी चार्जिंग स्टेशन और बैटरी रीसाइक्लिंग सुविधाओं आदि जैसे सस्टेनेबिलिटी के लिए उठाए जा रहे कदमों पर ध्यान देने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
स्टार्टअप के एक सक्षम ईकोसिस्टम की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए, श्री कृशन ने कहा कि कई स्टार्टअप फाउंडर्स राजस्थान के स्थानीय समुदायों से आते हैं क्योंकि यह उद्यमशीलता कौशल और योग्यताओं वाला राज्य है, लेकिन वे बेहतर अवसरों के लिए दूसरे शहरों में चले जाते हैं। इन्हें राज्य से बाहर जाने से रोकने की जरूरत है, ताकि राजस्थान में स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ सके।
सीआईआई राजस्थान स्टेट काउंसिल के चेयरमैन, अभिनव बांठिया ने कहा कि मेक इन इंडिया कैम्पेन के कारण हम 350 बिलियन यूएस डॉलर की अर्थव्यवस्था का आंकड़ा हासिल करने में सक्षम होंगे। उन्होंने इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए ध्यान देने वाले क्षेत्रों पर भी प्रकाश डाला। इनमें से कुछ में एम्पलॉयमेंट और एम्पलॉयएबिलिटी, शिक्षा और कौशल विकास, अनुसंधान और नवाचार, पर्यटन और चिकित्सा पर्यटन, रीन्यूएबल एनर्जी, इन्वेस्टमेंट और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, इन्फ्रास्ट्रक्चर को सक्षम बनाना आदि शामिल हैं।
एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड के एमडी और सीईओ, श्री संजय अग्रवाल ने कहा कि आज के समय में सभी के लिए समान अवसर हैं। अपने बिजनेस मॉडल, उससे जुड़े जोखिम और ‘स्केलेबिलिटी’ के बारे में जागरूक होना महत्वपूर्ण है। स्वयं को चुनौती देने, प्रेरणा देने और बड़ी आकांक्षाएं रखने की जरूरत है। राज्य में इस संस्कृति को लाने में सीआईआई अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने आगे सुझाव दिया कि अपनी मांग को नीति निर्माताओं के सामने रखना चाहिए और सरकार को भी सक्रिय होना चाहिए और उद्यमियों के लक्ष्यों के साथ जुडऩा चाहिए।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड और कार्यकारी निदेशक, वेदांता लिमिटेड, श्री अरुण मिश्रा ने कहा कि सरकार को अधिक संपत्ति बनाने के लिए राज्य के संसाधनों का उपयोग करने के लिए उद्यमियों और व्यवसायियों की क्षमता पर विश्वास प्रदर्शित करने की आवश्यकता है, जो कि इस समय की मांग है। इस क्षेत्र में अधिक उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में अधिक माइनिंग कॉलेज होने चाहिए। पर्यटन में नवाचार की आवश्यकता, आधुनिक आईटी शिक्षा का प्रसार, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन सहित कुछ अन्य सिफारिशें हैं, जो उन्होंने 2030 तक 350 बिलियन यूएस डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कीं।
सोमानी सेरामिक्स लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक, श्रीकांत सोमानी ने कहा कि एमएसएमई किसी भी अर्थव्यवस्था की बैकबोन हैं। उन्होंने जोर दिया कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में सबसे बड़ी बाधा मानसिकता में बदलाव है – व्यक्ति को आगे बढऩे, काम करने के नए तरीकों और प्रौद्योगिकी को अपनाने की जरूरत है। ग्लोबल सप्लाई चेन में शामिल होने के लिए उन्हें इनोवेशन में निवेश करने और मालिक संचालित उद्यम मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है। उन्होंने अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए समयबद्ध कार्यक्रमों और पहलों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
इस अवसर पर सीआईआई राजस्थान के वरिष्ठ निदेशक एवं स्टेट हेड, श्री नितिन गुप्ता भी उपस्थित थे। इससे पहले सीआईआई राजस्थान का एनुअल सेशन भी आयोजित किया गया। कॉन्फ्रेंस में आज पूरे राजस्थान से 215 से अधिक इंडस्ट्री मेम्बर्स ने भाग लिया।
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