दुर्घटना के बाद करीब से जानी सरकारी ‘संवेदनशीलता’ और कॉर्पोरेट ‘लापरवाही’

वरिष्ठ पत्रकार सचिन शर्मा
  • अरुणाचल प्रदेश की यात्रा का संस्मरण

  • अरुणाचल प्रदेश के प्रेस टूर में घायल हुए वरिष्ठ पत्रकार सचिन शर्मा, पैर के फैक्चर का आपरेशन जयपुर में होगा

  • केन्द्रीय पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत व केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने तत्काल पुख्ता व्यवस्थायें कर दिखाई आत्मीयता, फोन कर पूछी कुशलक्षेम

  • सैनिक अस्पताल, बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन, पत्र सूचना कार्यालय एवं रेलवे ने निभाई जिम्मेदारी और दिखाई पूरी संवेदनशीलता वहीं काॅर्पोरेट जगत की एयरलांइस इंडिगो की लापरवाही व गैर जिम्मेदारी आई सामने

सचिन शर्मा

राजधानी एक्सप्रेस इस समय तेजी से सीटी बजाती हुई दिल्ली की ओर बढ़ रही है और न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन को पीछे छोड़ चुकी है। स्टेशन छोड़ने से पहले से ही मन में काफी विचार चल रहे थे कि क्यों ना इस प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) द्वारा अरुणाचल प्रदेश के प्रेस टूर पर अपने खट्टे मीठे संस्मरणों को कागज पर उकेरूं। प्रेस टूर में 24 नवंबर को पीआईबी के उपनिदेशक धर्मेश भारती और अपने प्रेस के साथियों के साथ जयपुर से कोलकाता होते हुए ईटानगर नगर हवाई अड्डे पर पहुंचा। उसी दिन यहां ईटा नगर में डॉनी पोलो एयरपोर्ट पर चल रहे विकास कार्यों को देख लगा कि ईटा नगर भी रणनीतिक तौर पर पूरी दुनिया के दूसरे शहरों से जुड़ने के लिए तैयार है। अगले दिन एनएचपीसी के द्वारा तैयार किये जा रहे सुबनसिरी 2000 मेगावाट हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को देख लगा कि मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों को विकास की मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास सफल होता दिखाई पड़ रहा है।

अगले दिन 26 नवम्बर को हमें बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन (बीआरओ) के द्वारा आलो में चलाए जा रहे प्रोजेक्ट्स को विजिट करना था, उसके लिए हम सुबह 7 बजे ही देमाजी से आलो के लिए रवाना हो गए। करीब 9 घंटे की लंबी सतत यात्रा के बाद आलो पहुंचे। देर होने की वजह से तय हुआ कि प्रोजेक्ट्स विजिट करने के बजाए बीआरओ के अधिकारियों के साथ मुलाकात की जाएगी। मुलाकात के लिए तैयार होकर होटल के बाहर इंतजार ही कर रहे थे कि अचानक स्कूटी पर दो बालिकाओं ने आकर पीछे से तेज गति से टक्कर मारी और वहीं मौके पर धड़ाम से गिर पड़ा। जब देखा तो पता लगा कि दाएं पैर की हड्डी टूट चुकी थी और बाएं पैर के अंगूठे में फ्रेक्चर हो चुका था। धन्य हो उस राह से गुजरने वाले स्कोर्पियो के उस अनजान देवदूत की जिसने तत्काल मुझे सैनिक अस्पताल पहुंचाया जहां मेरे साथी भी मेरे साथ थे।

सूचना मिलते ही सड़क सीमा संगठन के चीफ इंजीनियर सुभाष चंद्र लूणिया भी मौके पर तत्काल पहुंचे। उन्होंने भी बीआरओ के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर जतिन बिंद्रा को निर्देश दिए कि वह पूरे मैटर को ढंग से देखें। डॉक्टर जतिन बिंद्रा ही पहले व्यक्ति थे जिन्होंने मेरे टूटे हुए उस पैर को देखा और तत्काल मुझे ले जाकर एक्स-रे करवाया और आगे इलाज के लिए जा सकूं इसके लिए सैनिक अस्पताल में ले जाकर ही कच्चा प्लास्टर भी बंधवाया। सुभाष चंद्र लुणिया ने तो यह प्रयास भी किया कि मुझे हेलिकॉप्टर द्वारा आलो से आसाम के डिब्रुगढ़ स्थित असम मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट किया जाए। लेकिन मौसम खराब होने की वजह से हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर सकता था, ऐसे में उन्होंने तत्काल डॉ जतिन बिंद्रा को तत्काल कहा कि वे सुबह 7 बजे एंबुलेंस के जरिए मुझे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शिफ्ट करें।

करीब सात घंटे से ज्यादा सड़क मार्ग से सफर तय कर के एंबुलेंस के जरिए मैं डिब्रुगढ़ के असम मेडिकल कॉलेज में पहुंचा। जहां डॉक्टर साजिद खान और डॉक्टर शशि वर्धन में मेरी प्राथमिक जांच की और अस्पताल में भर्ती किया।
मेडिकल इमरजेंसी देखते हुए उन्होंने कहा यदि आप यहां ऑपरेशन करवाना चाहें तो यहां करवा ले, लेकिन ऑपरेशन के बाद पोस्ट ऑपरेटिव केयर में 2 से 3 महीने का समय लगता है। इसलिए अगर आप जयपुर जाकर भी इलाज करवाना चाहते हैं उसमें कोई बुराई नहीं है। असली संघर्ष तो अब शुरू हुआ जब पत्र सूचना कार्यालय कि अतिरिक्त महानिदेशक रितु शुक्ला और उपनिदेशक धर्मेश भारती सहित सभी आला अधिकारियों ने इंडिगो एयरलाइन्स के अधिकारियों से संपर्क साधा और किस तरह से मुझे जयपुर शिफ्ट किया जा सकता है, उसके प्रयास शुरु किए।

यह विडंबना ही है कि इस देश में सरकार ने एयरपोर्ट और एयरलाइंस का निजीकरण तो कर दिया जिसके साथ ही उन पर अपना नियंत्रण खो दिया और उन्हें मनमानी करने का अधिकार दे दिया। जयपुर में अतिरिक्त महानिदेशक रितु शुक्ला हों या फिर दिल्ली में पत्र सूचना कार्यालय के प्रधान महानिदेशक धीरेंद्र ओझा और अरुणाचल प्रदेश में मेरे साथ टूर पर आए उपनिदेशक धर्मेश भारती सभी ने मिलकर सचिव स्तर से लेकर सिविल एविएशन विभाग तक एड़ी चोटी का जोर लगाया, लेकिन इंडिगो एयरलाइंस ने दो दिनों तक कागजी कार्यवाही पूरी करने पर भी गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हुए मदद करने से साफ इनकार कर दिया। इतना ही नहीं बल्कि कई बार अपनी बात से पलटती रही, अंत में समझ में आ गया कि इन काॅर्पोरेट्स में कोई संवेदनशीलता नहीं है ये केवल पैसे कैसे ज्यादा कमाया जा सके उस पर ही फोक्स करते है। उनसे स्थिति की गंभीरता व सहयोग करने की आशा भी नहीं रखी जा सकती।

आखिरकार दो दिन तक जब हवाई मार्ग से जयपुर शिफ्ट करने का नहीं बैठा तब अंततः मोदी सरकार के दो सबसे काबिल मंत्रियों, राजस्थान के अपने रेलवे मिनिस्टर अश्वनी वैष्णव व पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से संपर्क साधा गया। जब उन्हें यह पता चला कि राजस्थान का एक वरिष्ठ पत्रकार अरुणाचल प्रदेश में टूर पर गया हुआ है और वह इस समय घायल अवस्था में मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के लिए जयपुर आना चाहता है उसे शिफ्ट करने में काफी परेशानी हो रही है तो उन्होंने तत्काल अधिकारियों को निर्देश दिए।

कुछ ही समय में उपनिदेशक धर्मेश भारती घायल पत्रकार सचिन शर्मा और संजय कुमार सैनी को जयपुर राजधानी एक्सप्रेस में भिजवाने का इंतजाम करवाया गया। मंत्रियों तक यह संदेश पहुंचाने में जयपुर से लगातार प्रयासरत अतिरिक्त महानिदेशक रितु शुक्ला अतिरिक्त महानिदेशक रेलवे धर्मेंद्र तिवारी, अतिरिक्त महानिदेशक कृपा शंकर यादव और सहायक निदेशक शत्रुघ्न सिंह ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। वही रेलवे मिनिस्टर ने अधिकारियों को यह भी कहा कि वह मरीज के साथ रेलवे के एक डॉक्टर को तैनात करें जिसके लिए डिब्रुगढ़ रेलवे अस्पताल से मेडिकल ऑफिसर अंकित यादव को दिल्ली तक साथ भेजा गया है। दिल्ली पत्र सूचना कार्यालय की बात करें तो प्रधान महानिदेशक धीरेंद्र ओझा हों या संयुक्त महानिदेशक पवन फौजदार सभी ने अपनी महत्ती भूमिका अदा की और यही वजह रही कि मैं आज सफलतापूर्वक इलाज के लिए जयपुर लौट पा रहा हूं।

इस पूरी घटना ने यह तो सिद्ध कर दिया किस देश में आज भी लोगों की मदद के लिए सम्वेदनशील लोक कल्याणकारी सरकार व रेलवे जैसे विभाग ही मदद को आगे आते ना कि कॉर्पोरेट जगत की जानी मानी कम्पनियां । मरीज को समय पर सही सेवा व प्रमाणित जानकारी भी नहीं दे सके ऐसी एयरलाइंस किस काम की । मजबूरी देख मनमाने किराये के बाद भी अपनी जबान से पलटते इन्हें देर नहीं लगती। इनका मकसद केवल और केवल विशुद्ध रुप से पैसा कमाना है उनका लोगों की पीड़ा से कोई लेना देना नहीं है। इस पूरे घटना क्रम में अब मैं जोधपुर से दैनिक जलते दीप के प्रधान संपादक पदम मेहता और जयपुर से प्रबंध संपादक दीपक मेहता को नमन करता हूँ जिन्होंने जिस तरह से लगातार टेलीफोन पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, असम मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा के प्रमुख प्रेस सचिव रहे धुर्बा महंत आदि से संपर्क कर मदद के प्रयास किए, वाकई काबिले तारीफ है।

दीपक मेहता ने तो दिल्ली से जयपुर तक जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था भी एडवांस में ही करवा दी है । धन्य है वे लोग जिन्हें ऐसे लोगों का प्रेम सहयोग मिलता है तो वे जल्दी स्वस्थ हो पाते हैं। अंत में मेरे परिजनों के प्रेम और शुभकामनाओं के लिए आभार। और संजय सैनी जिन्होंने मेरे लिए प्रेस टूर को बीच में छोड़कर मेरी तिमारदारी के लिए साथ हो लिए, उनका कोटिशः धन्यवाद व जीवनभर आभारी रहुंगा।

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