
राजपुरोहित समाज, यूके का वार्षिक सम्मेलन
लंदन। राजपुरोहित समाज, यूके की ओर से लंदन में वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में राजपुरोहित समाज के लोगों हिस्सा लिया। सम्मेलन के दौरान सांस्कृतिक आयोजन हुए। सामूहिक राजस्थानी भोज हुआ। कार्यक्रम में भारत से लंदन में अध्ययनरत समाज के विद्यार्थियों ने भी हिस्सा लिया।

हनुवंत सिंह राजपुरोहित ने कार्यक्रम की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम आयोजन का मूल उद्देश्य राजस्थानी संस्कृति को विदेशी सरजमीं पर जीवंत रखना है। उन्होंने बताया कि लंदन में बड़ी संख्या में राजपुरोहित समाज के लोग रहते हैं। ऐसे में समाज के लोगों को एक-दूसरे के नजदीक लाने के लिए भी कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में पुरुष धोती, कुर्ता और पगड़ी पहनकर शामिल हुए। महिलाओं ने भी राजस्थानी परिवेश धारण किए। ऐसा लग रहा था मानो हम लंदन में नहीं बल्कि राजस्थान में हैं।
अफीम की नहीं, डार्क चॉकलेट की मनुहार

हनुवंत ने बताया कि उनके समाज में मेहमानों का स्वागत अफीम (अमल) देकर किया जाता रहा है, जिसका हाल में बहिष्कार किया गया था। यह राजस्थानी परंपरा रही है, जिसे हर हाल में जीवित रखा जाना था, लेकिन अफीम के नुकसान को देखते हुए इसमें बदलाव भी जरूरी था। ऐसे में पंरपरा भी बनी रहे और अफीम भी नहीं लेनी पड़े, इसके लिए उन्होंने नया रास्ता निकाला। उन्होंने बताया कि इसके लिए प्योर डार्क चॉकलेट का इस्तेमाल किया गया। ठीक अफीम तरह डार्क चॉकलेट को घोला गया। जालोर के सांकरना निवासी भंवर सिंह राजपुरोहित ने इसकी मीठी मनुहार की। ऐसा पहली बार हुआ है कि महिलाओं के समूह में भी इसकी मनुहार हुई। समाज के लोगों ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए सराहनीय कदम बताया।
भोजन में परोसा दाल-बाटी-चूरमा

कार्यक्रम के बाद दाल-बाटी-चूरमा, लापसी, हल्दी की सब्जी, जलेबी और गाठिया परोसा गया। कार्यक्रम में आशा-भंवरसिंह राजपुरोहित सांकरणा, पूजा-दशरथ पुरोहित सांचौर, रेखा-विनोद पुरोहित सिरोही, लक्ष्मी-महेंद्र राजपुरोहित बाडवा, पिंकी-महेंद्र सिंह राजपुरोहित धुरासणी, अनोपसिंह राजपुरोहित मुरखा, प्रकाश पुरोहित बाडवा सहित बड़ी संख्या में समाज के लोगों ने हिस्सा लिया।

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