
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में सदन की कार्यवाही के दौरान पक्ष-विपक्ष का कोई भी सदस्य विरोध स्वरूप आसन के पास तक पहुंचा तो वह स्वतः ही निलंबित माना जाएगा। इसके लिए सत्ता पक्ष को किसी तरह का प्रस्ताव लाए जाने की जरूरत नहीं रहेगी। क्योंकि लोकसभा में भी इसी तरह की व्यवस्था है। विधानसभा के स्पीकर वासुदेव देवनानी ने सोमवार को हुए घटनाक्रम पर भावुक होकर बोलते हुए यह व्यवस्था दी। उन्होंने कहा कि सोमवार के घटनाक्रम को लेकर संबंधित सदस्य कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के खिलाफ नियमों के तहत क्या कार्यवाही की जाए, यह उन्होंने सदन पर छोड़ दिया। लेकिन, कहा कि ऐसा व्यक्ति इस सदन का सदस्य रहने लायक नहीं है।
इससे पहले सोमवार को सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद सदन में धऱने के दौरान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा बोले गए शब्दों को लेकर सत्तापक्ष की ओर से संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने निंदा प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि हर हाल में आसन की गरिमा रहनी चाहिए। विपक्ष के सदस्य डोटासरा का व्यवहार और वक्तव्य बेहद निंदनीय है, क्योंकि उनके द्वारा शब्द सदन में ही बोले गए हैं, भले ही कार्यवाही नहीं चल रही हो। इस बहस में सम्मिलित होते हुए राष्ट्रीय लोकदल के विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि नि-संदेह सदन की कार्यवाही के दौरान विपक्षी सदस्य द्वारा जो शब्द आसन के प्रति बोले गए, कोई भी उनकी प्रशंसा नहीं कर सकता। लेकिन, अगर बेटा भी उत्तेजना में गलती करता है तो भी पिता उसे माफ कर देता है। इसलिए बड़ा मन रखते हुए अमर्यादित भाषा बोलने वाले सदस्य को माफ किया जाना चाहिए। सत्तापक्ष को भी बड़ा दिल रखकर विपक्ष को बुलाकर सदन चलाना चाहिए।
निर्दलीय यूनुस खान ने कहा कि लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। दोनों ही मिलकर सदन को चलाते हैं। डोटासरा द्वारा आसन के प्रति जो शब्द बोले गए, वे निंदनीय हैं। उनके खिलाफ नियमों के तहत जो कार्यवाही बनती हो वह की जाए। लेकिन, विपक्ष के सदस्यों की अनुपस्थिति में सदन चलाने में किसी को अच्छा नहीं लग रहा है। इसलिए बड़ा दिल रखते हुए विपक्ष को सदन में बुलाना चाहिए। सत्तापक्ष की ओऱ से विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि आसन के प्रति इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। अगर, ऐसे सदस्य को माफ किया जाता है तो सदन में गलत परंपरा डलेगी। इसलिए ऐसे सदस्य डोटासरा की सदस्यता ही समाप्त की जानी चाहिए। विधायक गोपाल शर्मा की इस बात का शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी समर्थन किया।